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नेयाज़ अहमद
सीवान के बड़हरिया प्रखंड स्थित मदरसा जामिया शमशीया तेगीया के प्रांगण में बुधवार की रात को हजरत सूफी मौलाना अब्दुल अजीज रहमतुल्लाह अलेह के उर्से चेहल्लूम धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जलसे का आयोजन किया गया.जिसमे हिंदुस्तान के नामवर मौलाना व शोअरा तसरीफ लाये थे.
जलसे की शुरुवात मदरसे के कारी जफर इक़बाल तिलावते क़ुरआन से शुरू किया जबकि मंच का संचालन कारी अख़लाक़ क़ादरी व मंच की अध्यक्षता फैज़ाबाद यूपी से आये मौलान वशी अहमद वसीम सिद्दीकी ने की.
मुबारकपुर यूपी से आये मौलाना मसउद बरकाती ने अल्लामा अब्दुल अजीज खान की जात पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हजरत के पर्दा फरमा जाने से पूरे बड़हरिया ही नही बल्कि पूरे बिहार को बहुत बड़ी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी भी नही हो सकती है. अहले सिवान वालो ने हजरत की जात को नही पहचान पाये हजरत बहुत बड़ी शखशियत थे हजरत हुस्नो अख़लाक़ ईमानदार सचे तक़वा तहारत के पैरवीकार थे. वही मौलाना वशी अहमद ने बताया कि हजरत यूपी में अपना घर-मकान, बाल-बच्चे, गाँव सब कुछ छोड़ कर बड़हरिया को पसंद किया. जब हजरात बड़हरिया में आये तो यहां कुछ नही था बिलकुल बयाबान जंगल की तरह था मगर, हजरत ने काफी मेहनत, दुःख व मुशीबत का सामना करके बड़हरिया में रहे और इल्म का दिया जलाते रहे. तब जाकर बड़हरिया मदरसा बिहार का नामवर मदरसों में से एक हुवा है. वही मुफ्ती सुल्तान रजा छपरवी ने कहा कि हजरत के किये गय कारनामो को यहां की जनता कभी भुला नही सकती है .वही हजरत के पुत्र मौलाना अकील ने कहा कि उनके पिता 53 सालो स बड़हरिया की सरजमीन पर अपने घर दुवार को अल्लाह के हवाले छोड़ कर रह रहे थे. उन्होंने बताया कि मेरी चार बहने और चार भाई है मगर मेरे पिता इस मदरसे के हिफाजत के वजह से हम भाई बहन अपने पिता का प्यार नही जान पाए और उनकी हमेशा सोंच-फ़िक्र मदरसा की तरक्की के लिए ही रही. वही उनके रूहानी पुत्र मौलाना वेसालुद्दीन ने कहा कि हजरत बड़हरिया वालो के लिए एक नायाब कोहिनूर हीरा की तरह थे. वही शायर अरशद नूरी शोहराब क़ादरी देवरिया मौलाना नौशाद छपरवी दिलकश गोपालगंजवी मेराज सिवानी सहित शायरों ने अपने कलाम से लोगो को झूमने पर मजबूर कर दिया. वही हर साल की तरह इस साल भी मदरसा के 25 बच्चों के सर पर ओलमा कराम ने दस्तार बन्दी की व उन क़ुरान सरीफ व सर्टिफिकेट बांटा गया. मंच पर मौलाना इफ़्तेख़ार बेदम सिवानी मौलाना रहमत अली हाफिज कौसर मौलाना मोईनुद्दीन मौलाना युसूफ, हाफिजे साहेबजान, हाफिज असगर हसीब, आरजू सहित सेकड़ो शायर और ओलमा मौजूद थे.
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