नालंदा : कोरोना महामारी को लेकर इस वर्ष मखदूम-ए-जहां के आस्ताने पर नहीं लगेगा उर्स
विश्व के तीसरे सबसे बड़े बुजुर्गों में शामिल मखदुम-ए-जहां के आस्ताने पर इस वर्ष उर्स नहीं लगेगा. अकीदतमंदों को अपने घरों में ही बैठकर कुरानख्वानी, फातिहाख्वानी व रस्मों की अदायगी करनी होगी. हर वर्ष ईद की पांचवीं तारीख को उर्स की शुरुआत होती थी, लेकिन इस बार मज़ार पर किसी को भी भीड़ लगाने की इजाज़त नही होगी. बुधवार को एसडीओ जनार्दन प्रसाद अग्रवाल, डीएसपी इमरान परवेज़, सैफुद्दीन फिरदौसी (पीर साहब) व अन्य लोग प्रेसवार्ता के दौरान जानकारी दी.
सज्जादा नशीं (पीर साहब) ने बताया कि इस वर्ष बाबा की मजार पर 659 उर्स लगने वाला था.10 दिवसीय उर्स की शुरुआत ईद की पहली तारीख से हो जाती थी. इसमें कम से कम 10 लाख लोग शामिल होते थे. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक हर दिन कम से कम एक लाख लोग बिहारशरीफ में बाबा की मजार पर लगे उर्स में शिरकत करते थे. पिछले वर्ष तक देश के कोने-कोने से लाखों जायरीन मजार पर हाजिरी लगाने आते थे. इसमें दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, झारखंड, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के अकीदतमंद शामिल होते थे.
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उन्होंने बताया कि ईद की पांचवी तारीख को कुरानख्वानी, मगरिब की नमाज़ के बाद मखदूम-ए-जहां की जीवन पर चर्चा, उसके बाद नए बने हाफ़िज़ की दस्तारबंदी, फिर लंगर (गरीबों के बीच खाना का वितरण), उसके बाद जुलूस की शक्ल में दरगाह पर हाज़री, उसके बाद कुल और दुआ की जाती थी. लेकिन इस वर्ष अकीदतमंदो को आने की इजाज़त नही होगी. वे अपने घरों में ही रहकर दुआ करें. यहां ईद का दिन आते-आते पूरा मैदान सजकर तैयार हो जाता था. ईद की नमाज के बाद बच्चे वहां लगे मेले का लुत्फ लेने लगते थे. लेकिन, इस बार ऐसा संभव नहीं हो सका. (प्रणय राज की रिपोर्ट).
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