नालंदा : मुख्यमंत्री के अति महत्वाकांक्षी ‘गंगा जल आपूर्ति योजना’ के अंतिम चरण के कार्यों का मंत्री संजय कुमार झा ने किया निरीक्षण
नालंदा में जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने बुधवार को गया और राजगीर जाकर अति महत्वाकांक्षी ‘गंगा जल आपूर्ति योजना’ के तहत कराये जा रहे अंतिम चरण के कार्यों का स्थल निरीक्षण किया और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये. इस दौरान जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल सहित वरीय अधिकारी एवं अभियंता मौजूद थे.
मंत्री सबसे पहले गया जिले के अबगिल्ला (मानपुर) पहुंचे, जहां ‘गंगा जल आपूर्ति योजना’ के तहत निर्मित अत्याधुनिक जल शोधन संयंत्र का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने ब्रह्मयोनि जल आपूर्ति टैंक सहित गया जिले के अन्य स्थानों पर जाकर योजना के कार्यों की समीक्षा की. इसके उपरांत उन्होंने बोधगया में महाबोधी सांस्कृतिक केंद्र स्थित उद्घाटन की तैयारियों की समीक्षा की, यहां से वे राजगीर गये, जहां उन्होंने गंगाजी राजगृह जलाशय निरीक्षण किया. जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित इस विशाल जलाशय की जल भंडारण की क्षमता 9.915 एमसीएम है. राजगीर शहर में जल आपूर्ति के लिए इसी जलाशय में जल का भंडारण किया गया है. इसके उपरांत उन्होंने राजगीर में निर्मित जल शोधन संयंत्र का भी निरीक्षण किया.
उल्लेखनीय है कि गंगा नदी की बाढ़ के पानी को पाइपलाइन के जरिये ले जाकर गया, बोधगया और राजगीर में सालोभर पेयजल के रूप में उपयोग करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनूठी परिकल्पना इसी माह साकार होने जा रही है. अति महत्वाकांक्षी ‘गंगा जल आपूर्ति योजना’ का खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 27 नवंबर को राजगीर में, जबकि 28 नवंबर को गया व बोधगया में लोकार्पण करेंगे. नीतीश सरकार की इस अनूठी योजना के तहत गया शहर के कुल 53 वार्डों में करीब 75000 घरों में, बोधगया शहर के कुल 19 वार्डों में करीब 6000 घरों में, जबकि राजगीर शहर के कुल 19 वार्ड में करीब 8031 घरों में शुद्ध पेयजल के लिए ‘हर घर गंगाजल’ की आपूर्ति की जायेगी.
योजना के अंतिम चरण के कार्यों की समीक्षा करने के उपरांत मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि देश में संभवत: पहली बार बाढ़ के पानी (अधिशेष नदी जल) को जल संकट वाले शहरों में ले जाकर पेयजल के रूप में उपयोग किया जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरगामी पहल ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान के तहत ‘गंगा जल आपूर्ति योजना’ से जहां जल संकट से जूझते शहरों में सालोभर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, वहीं क्षेत्र के पर्यावरण पर भी काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. योजना गया शहर और आसपास के इलाकों में गिरते भू-जल स्तर को पुनर्स्थापित करने तथा पर्यावरणीय संतुलन को सुदृढ़ करने में सहायक होगी. उन्होंने बताया कि इस अति महत्वाकांक्षी योजना की संरचनाओं के निर्माण में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है. योजना के तहत हाथीदह में राजेंद्र पुल के निकट निर्मित इन्टेक वेल सह पंप हाउस के जरिये अधिशेष गंगा जल को लिफ्ट कर करीब 151 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के जरिये गया, बोधगया तक पहुंचाया गया है और वहां निर्मित जलाशयों में गंगा जल का पर्याप्त भंडारण कर लिया गया है. (प्रणय राज की रिपोर्ट).
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