गोपालगंज : अब कहीं से भी ऑनलाइन किया जा सकेगा एफआईआर, 90 दिन में जांच पूरी कर सूचक को भी सूचना देंगे पुलिस अधिकारी
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गोपालगंज || पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने सोमवार को पूरे जिले में भारत सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कानून को लेकर प्रेसवार्ता की. उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही तीन कानून को भारत सरकार ने बदल दिया है. जिसमें भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 और दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 अब लागू हो गया है.
एसपी ने कहा कि अंग्रेज हमारे ऊपर शासन करते थे, इसलिए वे नागरिकों को दंड देने को लेकर कानून का बना रखे थे. परंतु वर्तमान सरकार भारत के नागरिकों को न्याय देने और उनकी सुरक्षा को लेकर कानून में बदलाव की है. इसलिए दंड की जगह न्याय और सुरक्षा की बात की जा रही है.
रेप केस में मृत्युदंड का है प्रावधान
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नए कानून के अनुसार, जो बड़े बदलाव नजर आ रहे हैं, उनमें अगर किसी युवती से दुष्कर्म होता है या गैंग रेप जैसी घटना होती है तो उसमें उम्र कैद या मृत्यु दंड तक का प्रावधान है. इसके अलावा मॉब लिचिंग में भी उम्र कैद और मृत्यु दंड का प्रावधान है. साथ ही 120 दिन में कोर्ट को भी केस की सुनवाई पर ट्रायल पूरा करते हुए सजा सुना देने की समय सीमा निर्धारित की गई है. एसपी ने बताया कि पुलिस को भी अधिकतम 90 दिन में केस की जांच पूरा करने के लिए समय सीमा निर्धारित कर दिया गया है.
डिजिटल होंगे सभी एविडेंस
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अब, डिजिटल तौर पर दुनिया के किसी भी कोने से प्राथमिकी दर्ज करवाई जा सकती है और डिजिटल साक्ष्य को भी महत्वपूर्ण कर दिया गया है. कोर्ट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी गवाही और ट्रायल इत्यादि को लेकर कानूनी मान्यता दी गई है. पुलिस को डायरी और बयान आदि को संग्रहित करने के लिए डिजिटल तौर पर भी स्वीकृति मिली है. जिसमें नोटिस, ट्रायल रिकॉर्ड,फॉरेंसिक, केस डायरी, यह सब सुरक्षित रखा जाएगा. फोटोग्राफी के लिए बिहार पुलिस के सभी अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप और मोबाइल उपलब्ध कराए जाएंगे. प्रत्येक थानो का नए उपकरणों के साथ आधुनिकीकरण किया जा रहा है.
विधि विज्ञान प्रयोगशाला की होगी स्थापना
बढ़ते हुए साइबर अपराध को नियंत्रित करने के लिए सबूत के प्रबंध, अनुसंधान और साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना भी राज्य में की जाएगी. पुलिस हर पीड़ित को उसके केस से संबंधित अपडेट लगातार देती रहेगी. 90 दिनों के अंदर जांच पूरा करना है और इसमें हर प्रगति को लेकर पीड़ित को सूचित करना भी अनिवार्य है.
महिला अपराध में 24 घंटे के अंदर होगी मेडिकल जांच
महिला अपराध में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से मेडिकल जांच होगी और एक हफ्तों में उसकी मेडिकल रिपोर्ट भी दे देनी है. वही अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को खुद का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है. नए कानून में पीड़ित को मुआवजा और उसके मुफ्त इलाज का भी अधिकार दिया गया है और केस वापसी के पहले न्यायालय को पीड़ित की बात भी सुनने का अधिकार दिया गया है. (हितेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट).