रामगढ़ : झामुमो केंद्रीय महासचिव फागु बेसरा ने भूमि अधिग्रहण संसोधन अधिनियम 2017 को वापस लेने की मांग की
खालिद अनवर
रामगढ़ जिले के हेसागढ़ा स्थित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव फागु बेसरा ने रविवार को अपने कार्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा की राज्य की रघुवर सरकार भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून 2017 को अविलम्ब वापस करे और पहले से भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापित रैयतों को न्याय दे.
उन्होंने कहा कि भाजपा नित रघुवर सरकार के द्वारा भूमि अधिग्रहण 2013 को लागू कराने के जगह बड़े पूंजीपतियों उद्योगपतियों और कॉरपोरेट घरानो के इशारे पर झारखण्ड के आदिवासी मूलवासियों के भूमि को लूटने के लिए कानून में संशोधन किया गया है. सरकार का यह कथन की स्कुल, कॉलेज, हॉस्पिटल एवं विकास के लिए ज़मीन नहीं मिलने के कारण कानून में संशोधन किया गया है. जबकि झारखण्ड प्रदेस में इस तरह का कहीं पर भूमि का कोई समस्या नहीं है. आजादी से लेकर आज तक कोल इंडिया, डीवीसी, सेल, एचइसी, पॉवर प्लांट, स्टील प्लान्ट एवं सिंचाई परियोजना में लाखों लाख एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया है. जिसका रैयतों को सही अधिकार नहीं दिया गया है. स्कुल,कॉलेज, हॉस्पिटल, बनाने में भूमि को लेकर कहीं भी कोई समस्या नहीं है. पहली बार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रख कर यह कानून बनाया गया है. जिसमे सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सर्वेक्षण, सामाजिक अंकेक्षण एवं रैयतों ग्राम सभा के माध्यम से अधिग्रहण से पूर्व सहमति लेने के प्रावधान को रघुवर सरकार ने संशोधन के माध्यम से निरस्त कर दिया गया है. जो लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है.
उन्होंने कहा कि सरकार जब चाहे जहां चाहे कृषि योग्य भूमि को भी जबरन अधिग्रहण कर सकती है. जो अंग्रेजों के काल खण्ड में बनी निरस्त भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के तरह है.
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