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दुमका : गैंगरेप के मामले में 11 आरोपियों को उम्रकैद

दुमका से बड़ी खबर है. जहां दुमका कोर्ट ने दो साल पुराने एक गैंगरेप केस में 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनायी है. आरोपियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. दुमका के द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन कुमार ने सजा सुनाने से पहले अपनी टिप्पणी में कहा कि घटना निंदनीय है. ऐसे कृत्य में अपराधियों को किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती.

झारखंड की उपराजधानी दुमका के द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन कुमार की अदालत ने दुमका के दिग्घी में रिंग रोड के पास दो वर्ष पूर्व हुए गैंगरेप केस में सोमवार को यह फैसला सुनाया और कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने अन्य धाराओं में भी जुर्माना तय किया है. कहा गया है कि आरोपियों से 2.97 लाख रुपये का जुर्माना वसूलकर राशि पीड़िता को दी जायेगी.

बता दें कि सामूहिक दुष्कर्म की यह घटना 6 सितंबर, 2017 की देर शाम श्रीअमड़ा मोड़ से ग्राम दिग्घी जाने वाली सड़क से कुछ दूरी पर स्थित एक सुनसान मैदान में हुई थी. 19 वर्षीय युवती अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ घूमने गयी थी और शाम करीब 7 बजे लौट रही थी. इसी दौरान दोनों को चार-पांच लड़कों ने घेर लिया. चार हजार रुपये और मोबाइल मांगे. कहा कि वे लोग गलत काम करने आये हैं. पीड़िता और उसके दोस्त के साथ जमकर मारपीट भी की. युवकों ने पहले फोन करके अपने साथियों को बुलाया. फोन करने के बाद स्कूटी से दो-तीन लड़के वहां पहुंचे. पैदल और बाइक से 10-12 अन्य लड़के भी आये. सभी ने पीड़िता और उसके दोस्त को घेर लिया. एक-एक करके सभी लड़कों ने युवती से दुष्कर्म किया.

पीड़िता के बयान पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी

घटना के बाद पीड़िता के बयान पर दुमका मुफस्सिल थाना में भादवि की धारा 323, 341, 342, 387, 376(डी), 504, 506, 201/ 34 के तहत प्राथमिकी (कांड संख्या 97/17) दर्ज की गयी. 8 सितंबर, 2017 को पुलिस ने 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 16 आरोपियों में से 11 अभियुक्तों का मामला स्पीडी ट्रायल के तहत द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अदालत में चला. पांच अभियुक्तों का मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) में चल रहा है.

एसपी ने जांच के लिए बनायी थी स्पेशल टीम

मामले में तत्कालीन एसपी मयूर पटेल कन्हैयालाल ने घटना की जांच और त्वरित कार्रवाई के लिए एक पुलिस टीम गठित की थी. जिसने सक्रियता से मामले का अनुसंधान कर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपा और तब जाकर दो वर्ष के अंदर ही कोर्ट का यह फैसला आया.

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