चाईबासा : देश की सर्वश्रेष्ट पारालीगल चाईबासा की बसंती गोप ने ली अंतिम सांस

संतोष वर्मा
पिछले 44 दिन से देश की सर्वश्रेष्ठ पारालीगल चाईबासा की बसंती गोप कैंसर की बिमारी को लेकर मौत और जिंदगी के बिच लड़ रही थी. लेकिन शुक्रवार की रात बसंती गोप आखिर जंग हार गई और अंतिम सांस ले ली.
हालांकि की यह कटु सत्य है कि जो अया है उसका जाना तय है. लेकिन बसंती जिस तरह अपने जिले में दुसरों की दु:ख और समाजसेवा में निश्वार्थ भाव से अपनी सेवा दी. जिसके कारण जिलेवासियों के दिलों में हरदिल अजिज बनकर अपनी छवी छोड़ गई. गरीब-गूरबों की जब भी समस्या होती थी तब बसंती दीदी को लोग खोजते थे. लेकिन अब…..बसंती गोप का बीती रात 12 बजे रांची
रिम्स में इलाज के दौरान मृत्यू हो गई. वह कुछ साल से कैंसर से पीडित थी.
बसंती के निधन की खबर जैसे ही चाईबासा पहुंची, शोक की लहर फैल गयी है. बसंती गोप शुरूआत पुलिस के साथ मिल कर लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करती थी. बाद में उसे इसी समाज सेवा की भावना को देखते हुए सबसे पहले न्यायालय ने उन्हें पारालीगल बनाया, फिर प्रशासन ने बसंती गोप को स्वच्छता मित्र और सडक सुरक्षा अभियान से जोडा.समाज सेवा की भावना को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बसंती को देश के सर्वश्रेष्ठ पारालीगल से सम्मानित किया. लेकिन कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी से जुझती बसंती बिस्तर पर पड़ी और रुपये के आभाव में इलाज के लिए तरस रही थी. पिछले माह 14 जून को मीडिया ने प्रमुखता से खबर प्रसारित की, उसके बाद न्यायालय से लेकर प्रशासन तक हरकत में आया कि लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और 44 वें दिन बसंती की मौत हो ही गई.
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