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सीवान : श्रावणी मेला में टूटी-फूटी सड़क के सहारे महेंद्र नाथ मंदिर में जलाभिषेक करेंगे श्रद्धालु

ब्रजेश कुमार

सूबे के मुखिया नीतीश कुमार पूरे बिहार में विकास का डंका पीट रहे हैं. वहीं बैजनाथ धाम के बाद दूसरा शिवलिंग सीवान के सिसवन प्रखंड के मेहदार गांव स्थित महेंद्र नाथ मंदिर की है. जो विकास की बाट जोह रहा है.

इस मंदिर में जलाभिषेक करने जाने के लिए चारों तरफ से टूटी-फूटी सड़कों के सहारे शनिवार से लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे. जबकि इस मंदिर के जाने के लिए कुछ सड़क महाराजगंज लोकसभा और एकमा विधानसभा में पडता है. वह आधा अंश सीवान लोकसभा और दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि इस सड़क से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी है. इस सड़क पर न सांसद व न ही विधायक ध्यान दे रहे हैं. अगर ध्यान देते तो यह सड़क बन जाती. श्रद्धालुओं को इस मंदिर के जाने के लिए काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जबकि इस मंदिर में जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक, सांसद व विधायक भी जलाभिषेक करते हैं, लेकिन सड़क पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. बता दें कि इस ऐतिहासिक महेंद्रनाथ मंदिर में प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को लाखों श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं तथा शादी-विवाह भी होते हैं.

राष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र पर नही आ सका महेन्द्रनाथ मंदिर :

सिसवन प्रखण्ड के मेंहदार गांव स्थित अंतरराष्ट्रीय महत्व की शिव मंदिर महेन्द्रनाथ धाम. अब तक राष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र पर अपना स्थान नही बना सका है. हालांकि  मंदिर प्रबंधन व स्थानीय जन-प्रतिनिधियो ने इसके लिए बहुतेरे प्रयास किये. बावजूद ऐसा नही हो सका. करीब दस वर्ष पुर्व मंत्री बिजय शंकर दुबे ने पर्यटन मंत्रालय को मेंहदार को राष्ट्रीय पर्यटक केन्द्र घोषित करने की मांग की थी. यह मंदिर राष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र पर स्थान पाने के लिए आवश्यक ढेरों विशेषताए पुरी करता हैै.

हजारों श्रद्धालुओं की पुरी हुई है मन्नते :

ऐसा कहा जाता है कि जो शिव भक्त सच्चे मन से बाबा महेन्द्रनाथ के आराधना करता उसकी मनोकामना पुरी हो जाती है. मनोकमना पुरी होने के बाद यहा शिव भक्त घंटे टांगते है. अब तक करीब 20 हजार शिव भक्तो ने घंटे टांगे हैं. कुछ घंटे मुख्य प्रवेश द्वार पर टंगे है. वहीं ढेरो घंटे भंडार गृह में रखे गये है.

नही हो सकी कमल दाह सराेवर की समुचित सफाई :

नेपाल नरेश महेन्द्रनाथ का जिस गड्ढे के पानी से कुष्ठ रोग दुर हुआ था. वही पर उन्होंने 551 बिगहे में तलाब खोदवाई थी. वर्तमान में यह तलाब अतिक्रमण व गंदगी के चलते, सिकुड्ता जा रहा है. दस वर्ष पुर्व मनरेगा से, पोखरे की सफाई शुरु की गयी, करीब 60 लाख रुपये व्यय की गयी. बावजूद सफाई नही हो सकी.

बाद में पर्यटन विभाग ने पोखरे की सफाई, पोखरे के विच में टापू, ओभर ब्रिच, परीक्रमा पथ बनाने के लिए 10 करोड़ रूपये स्वीकृत किये, परन्तु योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही व अनियमितता के चलते परीक्रमा पथ छोड़ बाकी सभी योजनाये शुरू भी नही की जा सकी है.

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