चाईबासा : जमशेदपुर पुलिस को महंगा पड़ा एसपी इंद्रजीत माहाथा की सलाह को नजरअंदाज करना
संतोष वर्मा
जमशेदपुर में एक निलंबित सब इंस्पेक्टर द्वारा अपनी पत्नी व उसके बॉयफ्रेंड और उसकी मां को गोली मार जाने की घटना के पहले चाईबासा पुलिस की बात को मान कर यदि जमशेदपुर पुलिस कार्रवाई की होती तो शायद यह घटना नहीं घटती और अब तक निलंबित दरोगा सलाखों के पीछे होता. शायद यही कराण है कि शुक्रवार को निलंबित थाना प्रभारी को गिरफ्तार नहीं किया जाना जमशेदपुर पुलिस के लिए महंगी पड़ गई.
ज्ञात हो की पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा पुलिस कप्तान इंद्रजीत माहाथा द्वारा गुदड़ी थाना प्रभारी मनोज गुप्ता 19 जुलाई से ही बना सुचना और सर्विस रिवालवर लेकर गायब हो गये थे. बाद में पता चला कि बिना बताये बीमारी का इलाज कराने के नाम पर जाने का एक पत्र अपने कार्यालय में छोड़ चले गये थे. जिसकी सुचना थाना के किसी अधिकारी नहीं थी. इधर जब गुदरी थाना प्रभारी मनोज गुप्ता की खोज पुलिस कप्तान द्वारा की गई तो एसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 22 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था. साथ ही यह भी सूचना दी गई थी कि निलंबित थाना प्रभारी ऑन ड्यूटी सर्विस रिवालवर को लेकर फरार है, जिसे गिरफ्तारी करने का भी आदेश निर्गत किया गया था.
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यदि उसी दीन जमशेदपुर पुलिस चाईबासा एसपी की बात मान कर कार्रवाई कर ली होती तो शायद आज जो घटना घटी वह नहीं घटती. जबकि इस बात की सुचना जमशेदपुर पुलिस को मिल गयी थी कि निलंबित थाना प्रभारी और उनकी पत्नी के बीच करीब 20 साल से विवाद चल रहा है. कई बार मामला भी दर्ज हुआ. यही कारण है कि पत्नी के दोस्त चंदन कुमार व उसकी माँ को उसने गोली मार दिया. मां की मौत घटना स्थल पर ही हो गई तथा पत्नी व उसका दोस्त गंभीर हालत में टीएमएच में भर्ती है.
गौरतलब है कि 19 जुलाई से थाना प्रभारी मेडिकल का छुट्टी लेकर घर गए थे. इधर जमशेदपुर सिटी एसपी की रिपोर्ट पर चाईबासा एसपी इंद्रजीत महथा ने 22 जुलाई को ही मनोज गुप्ता को निलंबित करते हुए गिरफ्तारी का आदेश दे दिया था, लेकिन जमशेदपुर पुलिस निलंबित दरोगा को गिरफ्तार नहीं कर पायी। जिसके कारण शुक्रवार को निलंबित दरोगा घटना का अंजाम दे कर भाग निकला. हालांकि जमशेदपुर पुलिस ने निलंबित दरोगा के पुत्र को स्कूल से ही कब्जा में ले लिया था.
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