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सीवान : महाराजगंज के ऐतिहासिक मौनिया बाबा महावीरी झंडा मेला को आज तक नहीं मिल सका राजकीय मेला का दर्जा

शाहिल कुमार

उत्तर बिहार के सुप्रसिद्ध मेलों मे से एक सीवान जिले के महाराजगंज मौनिया बाबा का महावीरी झंडा मेला को आज तक राजकीय मेला का दर्जा नहीं सका है. जिससे महाराजगंज वासियों में काफी क्षोभ है

बता दें कि मौनिया बाबा मेला की शुरुआत नागा बाबा के मठ के महंत स्वामी महादेवदास जी एवं उनके गुरु भाई कृपालनंद जी महाराज की प्रेरणा से सन् 1923 ई मे हुई थी. स्थानीय निवासियों के द्वारा अपने रक्त का तिलक लगाकर इस आखाड़ो को प्रसिद्ध बनाने की कसम ली. उन्हीं की प्रेरणा से इस मेले का गौरव आज भी बरकरार है. मौनिया बाबा महावीरी झंडा मेला का जुलूस आखडा भव्य कला प्रदर्शनीे के साथ झाँकियाँ भी निकाली जाती है. कई शहरी अखाड़ो के साथ साथ दर्जनों ग्रामीण क्षेत्र के आखड़ो ढोल नगारे के साथ घोड़ा उट हाथियों का प्रदर्शन दिखाते है. जिसे देखने के लिऐ लाखों की संख्या मे श्रद्धालु एवं पर्यटक आते है.

यह मेला उत्तर बिहार के प्रसिद्ध मेले के रूप मे विख्यात है इस मेले का इतिहास है. इसके आयोजन मे सभी जाति धर्म एवं सम्प्रदाय के लोग हार्दिक उल्लास एवं उमंग के साथ भाग लेते है. यह मेला प्रत्येक वर्ष दो दीन भाद्रपद मास के कृष्ण चतुदर्श के रात्रि एवं अमावस्या के दिन मे लगता है. इस मेला मे महावीर हनुमान एवं मौनिया बाबा की आराधना की जाती है. इस मेले का एक अनोखा धारणा है कि श्रद्धालुओं की मौनिया बाबा के समाधि स्थल पर जा कर सच्चे दिल से माँगी गई मनौतियाँ पुर्ण हो जाती है.

लेकिन, सालों से चलते आ रहे इस ऐतिहासिक महावीरी झंडा मेला को राजकीय मेला का दर्जा नही मिल पाया. कहा जाये तो जनप्रतिनिधियों का उदासीनता या प्रशासनिक आधिकारियो का जो हर साल इस ऐतिहासिक मेले को राजकीय मेले का दर्ज दिलाने की बात तो करते है परंतु इस मेला के समापन के बाद भुल जाते है. हर साल जैसे ही इस ऐतिहासिक मेले का आयोजन का दिन नजदीक आता है तो लोगों मे उम्मीद जंग जाता है कि कहीं इस साल इस ऐतिहासिक मेले को राजकीय मेला का दर्जा मिल जाऐ जो अभी तक नही मिल पाया है.

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