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पटना : सीएम नीतीश कुमार ने दो दिवसीय पूर्वी भारत जलवायु कॉन्क्लेव का किया उद्घाटन

अभिषेक श्रीवास्तव (प्रधान संपादक)

पटना में रविवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में दो दिवसीय पूर्वी भारत जलवायु कॉन्क्लेव 2018 के उद्घाटन सत्र का दीप प्रज्वलित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं केंद्रीय, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन ने शुभारंभ किया.

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले वन एवं पर्यावरण विभाग को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि पूर्वी भारत जलवायु कॉन्क्लेव का आयोजन बिहार में कराया गया और मुझे इसमें शामिल होने का मौका मिला. देश के विभिन्न क्षेत्रों एवं विदेशों से आए हुए विशेषज्ञों, प्रतिनिधियों का मैं अभिनंदन करता हूं. केंद्रीय मंत्री, उप मुख्यमंत्री, छतीसगढ़ के वन मंत्री ने पर्यावरण से संबंधित अपनी बात रखी. वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव ने भी इसकी पृष्ठभूमि के संबंध में अपनी बात रखी. दो दिन की इस चर्चा में पर्यावरण को होने वाले नुकसान एवं उसके समाधान के बारे में कुछ निष्कर्ष निकलेगा ऐसी उम्मीद है. जैसा कि केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग में विकसित देशों का जितना योगदान है उसकी तुलना में भारत का बहुत कम योगदान है लेकिन उसका परिणाम भारत भुगत रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में पूर्वी राज्यों का ग्लोबल वार्मिंग में बहुत कम योगदान है उसमें भी बिहार बहुत पीछे है. लेकिन पर्यावरण से छेड़छाड़ से होने वाले दुष्परिणाम को बिहार भुगत रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बचपन में हमलोग पढ़ते थे कि मॉनसून 15 जून तक आ जाता है, लेकिन अब उसमें भी देर होती है. बिहार में वर्षापात का औसत 1200 से 1500 एमएम के बीच होता था. हाल ही में बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व होने वाली तैयारियों की समीक्षा बैठक में मौसम विभाग के प्रतिनिधियों ने इस वर्ष औसत वर्षापात का अनुमान 1027 एमएम बताया है. यह 30 वर्षों (वर्ष 1980 से 2010) के दौरान होने वाले वर्षा के आधार पर निर्धारित किया गया है. जब से हमने बिहार का कार्यभार संभाला है यानि वर्ष 2006 से वर्ष 2017 के बीच 12
वर्षों में औसत वर्षा 912 मिमी हुयी है. इसमें भी मात्र तीन वर्ष 1000 मिमी वर्षा हुयी है. जबकि शेष वर्षों में 800 मिमी ही वर्षा हुई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2016 में गंगा नदीसे सटे जिलों में बाढ़ आया था. गंगा नदी का जलस्तर पहले से सभी जगहों पर ऊंचा हो गया है. उन्होंने कहा कि गंगा देश की पवित्र एवं पूजनीय नदी है. इसकी अविरलता एवं निर्मलता दोनों प्रभावित हुई है. इसके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया है. इसके लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनायी गई है. हाल ही में गंगा जलमार्ग पर बक्सर के पास अप स्ट्रीम में एक कार्बोवेसल यान फंस गया और उसे निकालने आनेवाला टैगवेसल 10 किमी पहले ही फंस गया. रामरेखा घाट के पास गंगा की गहराई मात्र 1.10 मीटर है. गंगा नदी में काई जम गयी है. बेगूसराय के पास तो पानी काला हो गया है. उन्होंने कहा कि बक्सर के पास गंगा में 400 क्यूमेक्स पानी आता है और बिहार की सीमा से 1600 क्यूमेक्स पानी जाता है. यानि बिहार राज्य में प्रवेश करने के बाद गंगा से ज्यादा पानी की मात्रा बाहर जाती है। बिहार में बाढ़ बाहर की नदियों से आता है. गंगा नदी के जल के साथ छेड़छाड़ किया गया है. इसमें कई बराज बनाए गए हैं. जंगल की कटाई के चलते सील्ट ज्यादा निकल रहा है. फरक्का बराज बनने के चलते पानी के साथ जितना सील्ट बाहर जाना चाहिए उतना नहीं निकल पाता है. सील्ट के निष्कासन के लिए नदी के फ्लो को ठीक करना होगा. हमलोगों को गंगा के प्रवाह को ठीक करने के लिए हर पहलू पर गौर करना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण से छेड़छाड़ के संबंध में कार्यक्रम चलाना, लोगों को जागरुक करना तो है ही साथ ही इसके समाधान के लिए मौलिक तौर पर सोचना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने जो कृषि रोडमैप बनाया है उसमें हर चीज का ख्याल रखा गया है. क्रॉप साइकिल (फसल चक्र) पर काम किया जा रहा है. बिहार में राजेंद्र

कृषि विश्वविद्यालय, सबौर कृषि विष्वविद्यालय, आईसीएआर का यहाॅ स्थापित रीजनल केंद्र इन सब चीजों पर काम कर रहा है, योजनाएं बनायी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में यह भ्रम है कि सौर ऊर्जा असली ऊर्जा नहीं है, थर्मल ऊर्जा ही वास्तविक ऊर्जा है .लोगों को यह समझना होगा कि सौर ऊर्जा अक्षय ऊर्जा है. बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां डिजास्टर का रिस्क रिडक्शन का रोडमैप बना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा कि उप मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वन एवं पर्यावरण के साथ जलवायु परिवर्तन का भी नाम भी इस विभाग के साथ जुड़ना चाहिए, यह सही है. मैंने इसके साथ-साथ इस विभाग को सभी के साथ को-ऑर्डिनेशन की सलाह दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां पर युवा छात्र-छात्राएं बैठे हैं. बिहार के स्कूली बच्चे साफ सफाई के प्रति सचेत हैं. नई पीढ़ी के लोग ही जलवायु के प्रति लोगों को जागरुक कर सकते हैं. जलवायु परिवर्तन पर जो काॅन्क्लेव हो रहा है वो बहुत ही सुखद है. बापू ने कहा था कि यह धरती लोगों की जरुरतों को पूरा कर सकती है, लालच को नहीं. इस बात को पर्यावरण के संदर्भ में गंभीरता से सोचने की जरुरत है. सभी लोगों को क्लाइमेट के प्रति, कुदरत के प्रति, पर्यावरण के प्रति सजग रहना होगा. विशेषज्ञ लोग सजग करेंगे, युवा पीढ़ी इन सब चीजों को फैलाएंगे. मुझे पूरा विश्वास है की आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए हमलोग पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे.

मौके पर मुख्यमंत्री का स्वागत प्रधान मुख्य वन संरक्षक डीके शुक्ला ने पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र भेंटकर किया. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन का स्वागत अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर किया. वहीं सभा को केंद्रीय मंत्री वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, छतीसगढ़ के वन, विधि एवं विधायी कार्य मंत्री महेश गागड़ा, प्रधान सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग त्रिपुरारी शरण ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक डीके शुक्ला, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य पदाधिकारीगण देश-विदेश से आए विशेषज्ञगण, अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं छात्र, छात्राएं उपस्थित थे.

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