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नालंदा : जिले के लाल रौशन के नक्सली हमले में शहीद होने की खबर मिलने पर रो पड़ा फतेहपुर गांव

प्रणय राज

नालंदा का एक और लाल देश की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गया. सिलाव प्रखंड के फतेहपुर गांव निवासी प्रताप राम का पुत्र रौशन कुमार छतीसगढ़ में सीआपीएफ का जवान था. बुधवार की अहले सुबह नक्सली हमले के वे शिकार हो गए. रौशन के शहीद होने की खबर सुनकर पूरा गांव रो पड़ा.

मात्र 23 वर्ष की उम्र में ही रौशन देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया. सूचना मिलते ही गांव में मातम छा गया. गुरुवार की सुबह तक गांव में शव पहुंचने की संभावना है. रौशन का जन्म 13 जनवरी 1996 को हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. महाबोधी कॉलेज से इंटर करने के बाद दो साल पहले 2017 में काफी छोटी उम्र में ही रौशन का चयन सीआरपीएफ में हो गया. अभी तक उसकी शादी भी नहीं हुई थी. बुधवार की सुबह सर्च ऑपरेशन से लौटते समय रौशन नक्सलियों द्वारा बिछाये गये आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आकर अपनी जान गवां बैठा. वरीय अधिकारियों ने रौशन के पिता को फोन कर उसके शहीद होने की जानकारी दी.

भाई की तस्वीर को गले लगा पुटुस के नहीं थम रहे आँसू

छोटे भाई पुटुस अपने भाई के तस्वीर को बार बार देखते हुए गले लगा रोने लगता है. अश्रू के धार रुकने का नाम नहीं ले रहा हहैं. रुंधे गले ने उसने बताया कि मंगलवार की रात भैया से उसकी बात हुई थी. भैया एक महीना पहले 24 जून को छुटटी से वापस ड्यूटी पर गये थे. दशहरा में आने के लिए बोला था. उससे पहले ही यह दु:खद समाचार मिल गया। पुटुस का कहना है कि वह अपने भैया का सपना पूरा करने के लिए सीआरपीएफ में भर्ती होगा.

पिता ने कहा शहादत पर है फ्रक

पिता को बेटे की शहादत पर फख्र है. उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका खून देश के काम आया. मंगलवार की रात उससे बात हुई थी. घर का हालचाल लेने के बाद उसने सुबह में ड्यूटी पर जाने की बात बतायी थी. परिजन की माने तो रौशन घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य है. दो बड़े भाई संतोष व श्रवण खेतीबारी में पिता का हाथ बंटाते हैं. वहीं छोटा भाई पुटुस पढ़ाई कर रहा है. एक बहन है साधना, उसकी शादी हो चुकी है. घर में रौशन की शादी की बात चल रही थी.

कैम्प के पास ही हुआ आईईडी ब्लास्ट:

रौशन की बहाली दुर्गापुर में हुई थी. डेढ़ साल से वह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला में तैनात था. अधिकारियों के अनुसार नक्सल विरोधी सर्च ऑपरेशन के लिए मंगलवार की रात रौशन अपनी टीम के साथ बस्तर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर जंगलों में छापेमारी करने गया था. सुबह में लौटते समय सीआरपीएफ कैम्प से थोड़ी दूर पहले ही आईईडी विस्फोट की चपेट में आ गया.

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