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मुंगेर : जदयू का प्रमंडल स्तरीय दलित-महादलित सम्मेलन आयोजित, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की शिरकत

अभिषेक श्रीवास्तव

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को मुंगेर में आयोजित प्रमंडल स्तरीय जदयू दलित-महादलित सम्मेलन में शामिल हुए.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दलित-महादलित सम्मेलन में आए लोगों को मैं विशेष रूप से बधाई एवं धन्यवाद देता हूँ. उन्होंने कहा कि 2005 में हमने न्याय यात्रा की थी. न्याय के साथ विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है और उसको ही ध्यान में रखकर हमने काम किया है। न्याय के साथ विकास का मतलब समाज के हर तबके और हर इलाके का विकास है. समाज का जो हिस्सा विकास की मुख्य धारा से अलग है और जिसकी उपेक्षा हुई है, ऐसे लोगों को मुख्य धारा में लाना है. उन्होंने कहा कि जो भी विकास का काम हो रहा है, अगर उसका लाभ हाशिये पर खड़े लोगों को नहीं मिल रहा है तो उसका कोई मतलब नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने काम संभाला तो अध्ययन कराया, जिसमें यह बात सामने आई कि साढ़े 12% बच्चे स्कूलों से बाहर हैं और उन्हें स्कूलों तक पहुंचाने का प्रयास शुरु किया गया. 27 हजार से ज्यादा नए स्कूल खोले गए, तीन से चार लाख शिक्षकों का नियोजन किया गया. स्कूलों से बाहर रहने वाले बच्चों का सर्वेक्षण कराया गया तो पता चला कि महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की संख्या इसमें सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा कि स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए महादलित टोलों में टोला सेवक को नियोजित किया. इसी तरह से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए शिक्षा स्वयं सेवकों का चयन किया गया. अब स्कूल से बाहर रहने वाले एक प्रतिशत से भी कम बच्चें हैं. इसके अलावा शिक्षा स्वयं सेवकों एवं टोला सेवकों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को भी साक्षर बनाने के काम मे लगाया गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले अस्पतालों की क्या हालत थी? फरवरी 2006 में इंतजाम नहीं होने के कारण प्रखंड स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक माह में औसतन 39 मरीज इलाज कराने जाते थे. इस प्रकार प्रतिदिन एक या किसी-किसी दिन 2 मरीज इलाज कराने पहुँचते थे. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों की नियुक्ति की गई, नर्सों का पदस्थापन और मुफ्त दवा का प्रबंध किया गया. इसके बाद आज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर औसतन 11 हजार हो गयी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के गरीब तबकों को फायदा पहुंचाने एवं हाशिये पर खड़े लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष प्रयास और विशेष पहल की गई है. एससी/एसटी के लड़के-लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालयों की संख्या बढाने के साथ-साथ आवासीय विद्यालयों में रहने वाले छात्रों के लिए भोजन से लेकर कपड़े तक की व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि अपने दल के लोगों की टीम बनाकर सरकारी योजनाओं का लोगों को मिल रहे लाभ एवं छात्रावासों की स्थिति देखने की जिम्मेवारी दी. एससी/ एसटी छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के लिए नौ किलो चावल, छह किलो गेहॅू प्रतिमाह देने की व्यवस्था की गई. इसके साथ ही बढ़ते खर्च को देखते हुए पहले से मिल रही छात्रवृति के अतिरिक्त छात्रावास में रहने वाले छात्रों को एक हजार रुपए महीना देने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि अब जो छात्रावास बनाये जा रहे हैं, वह बहुत ही उत्तम है. पुराने जर्जर छात्रावासों का भी पुनर्निर्माण कराने का फैसला लिया गया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि दशरथ मांझी के नाम पर कौशल विकास योजना शुरु की गयी, जिसके तहत बच्चों को हुनरमंद बनाया जा रहा है. महादलित टोलों में सामुदायिक भवन एवं वर्कशेड के निर्माण की शुरुआत की गयी और अब तक साढ़े तीन हजार से अधिक सामुदायिक भवन और वर्कशेड निर्मित किया जा चुका है. हमलोगों ने यह निर्णय लिया कि महादलित विकास मिशन के जरिए जो योजनाएं महादलितों के विकास के लिए चलाई जा रही है, वह सारा काम अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए भी किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने सिविल प्रोत्साहन स्कीम चलाई है, इसके तहत यदि कोई एससी/एसटी का युवा बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उतीर्ण करेगा तो अंतिम परीक्षा की तैयारी के लिए 50 हजार रूपये और संघ लोक सेवा आयोग के लिए एक लाख रुपए की सहायता उसे राज्य सरकार मुहैया कराएगी. उन्होंने कहा कि यदि एससी/एसटी समाज के लोगों में उद्यमिता का भाव है और वे उद्योग लगाना चाहते हैं तो ऐसे युवाओं को मदद करने के लिए 500 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया है. सात निश्चय योजना के तहत की जाने वाली इस मद में 20 फीसदी एससी एवं 2 फीसदी एसटी समुदाय के लोगों के लिए स्थान आरक्षित है. इनके अतिरिक्त मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजनान्तर्गत उद्यमिता का भाव रखने वालों को 10 लाख रूपये की मदद राज्य सरकार द्वारा की जा रही है, जिसमें पांच लाख रूपये अनुदान और 5 लाख रूपये ब्याज रहित है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की मांग पर हमने शराबबंदी लागू की. इसका सबसे ज्यादा लाभ गरीबों को मिला है जो अपनी गाढ़ी कमाई शराब में लूटा देते थे. बावजूद इसके कुछ लोगों की मानसिकता गड़बड़ी करने की होती है. ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी हो रही है. शराबबंदी के कारण जिन परिवारों के समक्ष बेरोजगारी की समस्या उतपन्न हुई है, ऐसे परिवारों की पहचान कर उन्हें सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत जीविका के माध्यम से वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ऐसे वैकल्पिक रोजगार करने वाले 35-40 परिवारों के ऊपर एक व्यक्ति को लगाया गया है ताकि वे समर्पण भाव से काम करते रहें. वैकल्पिक रोजगार के लिए 60 हजार रूपये से एक लाख रुपये तक की मदद की जाएगी. वैकल्पिक रोजगार शुरु करने पर सात महीना तक एक हजार रुपए प्रतिमाह सरकार की ओर से दिया जाएगा ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों के पास राशन कार्ड तक नहीं है और जानकारी के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाया है ऐसे परिवारों को भी सतत् जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जो इंदिरा आवास योजना चलाई जा रही थी, अब वह प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण हो गया है. लाभार्थी सूची में नाम होने के बावजूद जमीन नहीं होने के कारण कई लोग इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री वासस्थल क्रय योजना की शुरुआत कर 60 हजार रुपये जमीन खरीदने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि वे इस योजना का लाभ ले सके. इसके अलावा हमने यह भी तय किया कि 1996 के पहले इंदिरा आवास के तहत बने मकानों के लिए जो ढह गए हैं अथवा क्षतिग्रस्त हो गए हैं, वैसे परिवारों को चिह्नित कर मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1.20 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी ताकि वे पुनः मकान बना सके. उन्होंने कहा कि गांव-गांव में सड़क बन गया और सात निश्चय के तहत गांव के टोलों तक भी सड़क बनाने का काम जारी है. वार्ड के स्तर पर काम कराया जा रहा है और अनुसूचित जाति की बहुलता वाले वार्डों में पहले नाली व सड़क निर्माण, पेयजल आपूर्ति का कार्य विकेन्द्रित तरीके से कराया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम सांसद थे तो क्षेत्र में घूमने के लिए हमें प्रतिदिन 18 से 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. हमलोगों ने मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत हर पंचायत में 4 से 10 लोगों के बैठने की क्षमता वाले पांच वाहन की खरीद होनी है, इसके लिए राज्य सरकार प्रति वाहन एक लाख रुपये का अनुदान दे रही है. वाहन खरीदने वाले लाभुकों में तीन अनुसूचित जाति और दो अति पिछड़े समुदाय से होंगे. अब हर कोई गाड़ी में बैठकर चलेंगे जिसकी किसी ने कल्पना तक नही की होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग समाज में भ्रम और टकराव पैदा करना चाहते हैं. बाबा साहब ने संविधान की रचना की, जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया. आरक्षण नहीं मिलेगा तो हाषिए पर खड़े लोग मुख्य धारा में कैसे आएंगे. मैं स्पष्ट तौर पर कह देना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण के प्रावधानों को समाप्त करने के लिए इस धरती पर कोई पैदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि संविधान के रचयिता बाबा साहब ने बौद्ध धर्म को अपनाया था और बौद्ध धर्म का संदेश अहिंसा, शांति एवं सहिष्णुता का है इसलिए समाज मे प्रेम, शांति, सद्भाव का माहौल कायम रखने का हरसंभव प्रयास कीजिए, तभी विकास कार्यों का लाभ मिलेगा.

सम्मेलन में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी के बहकावे में नहीं आइये. आप सभी अपने बच्चों को पढ़ाएं और आगे बढ़ाएं, इसके लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि आज कल समाज में कटुता पैदा करने काफी कोशिश की जा रही है क्योंकि अब राजनीति का कोई मतलब ही नहीं रह गया है. उन्होंने कहा कि बिना काम किए और बिना सिद्धांत के प्रति निष्ठा रखे लोग राजनीति में आ जाते हैं और ताकत मिलने पर धन संग्रह में लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि पहले बिहार में बिजली की क्या हालत थी. गाँव में चारो ओर अंधेरा छाया रहता था. परिजन अपने बच्चों को अंधेरे में जाने से रोकने के लिए भूत का भय दिखाकर उसे डराते थे ताकि रात को बच्चा घर से बाहर नही निकले लेकिन अब तो बिहार के हर घर मे बिजली पहुंच गई है और लालटेन खत्म हो गया है. हमने भूत से सबको छुटकारा दिला दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान रचयिता बाबा साहेब और बापू के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है. गांधी जी कहा करते थे कि यह धरती जीव-जंतु की हर जरुरत को पूरा करने में सक्षम है लेकिन लालच को नही. गांधी जी ने सात सामाजिक पाप बताये हैं. इसमे उन्होंने सिद्धांत के बिना राजनीति और काम के बिना धन कमाना भी सामाजिक पाप बताया है. सम्मेलन में शामिल लोगों को हाथ उठाकर अपने बच्चों को हर सूरतेहाल में पढ़ाने का मुख्यमंत्री ने संकल्प दिलाया. उन्होंने कहा कि शाम का वक्त है और सूर्य भगवान के समक्ष आपने संकल्प लिया है इसलिए हर हाल में इसका ख्याल रखियेगा. उन्होंने कहा कि दीपावली के बाद छठ व्रत है और छठ में सूर्य की ही पूजा होती है, जिसमें आत्मानुशासन की काफी महत्ता होती है. अगर उस आत्मानुशासन को आप अपने जीवन मे उतार लीजियेगा तो यह समाज ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा.

मुंगेर के पोलो मैदान में आयोजित दलित-महादलित सम्मेलन में स्थानीय नेताओं एवं जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ, फूलो की बड़ी माला, स्मृति चिन्ह, शॉल भेंटकर स्वागत किया. कार्यक्रम को भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, पूर्व मंत्री एवं विधान पार्षद अशोक चौधरी, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्याम रजक, विधायक रत्नेश सदा, विधायक रवि ज्योति ने भी संबोधित किया. वहीं इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, विधायक मेवालाल चौधरी, विधायक रणधीर कुमार सोनी, विधायक पूनम देवी यादव, विधान पार्षद तनवीर अख्तर, विधान पार्षद सोनेलाल मेहता, विधान पार्षद ललन सर्राफ, पूर्व मंत्री दामोदर रावत, जदयू प्रवक्ता प्रो सुहेली मेहता, मुंगेर जदयू जिलाध्यक्ष संतोष सहनी सहित जदयू के अन्य कई नेतागण एवं आमलोग उपस्थित थे.

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