बेगूसराय : जिलेवासी कब भरगें अपने हवाई अड्डे से उड़ान !
नूर आलम
बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय के एकलौते उलाव हवाई अड्डा से पता नहीं कब बेगूसराय के लोग उड़ान भर सकेंगे. रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम उड़ान के तहत चयनित सेवा रहित और कम सेवा वाले बिहार के 26 हवाई अड्डों में इसे भी शामिल किया गया. लेकिन उसके बाद फिर हुआ कुछ नहीं.
बेगूसराय औद्योगिक राजधानी, वाणिज्य-व्यापार का प्रमुख केन्द्र के साथ आर्थिक सम्पन्नता के मामले में सूबे बिहार में अव्वल है. शिक्षा, स्वास्थ्य, कला-संस्कृति इत्यादि के क्षेत्रों में भी बेगूसराय जिले की एक अलग पहचान है. बेगूसराय एवं आसपास से लगभग आधा दर्जन नेशनल हाईवेज तथा रेलवे रुट्स गुजरते हैं. वर्तमान में जिले में गंगा नदी पर दो रेल व एक सड़क पुल चालू है तथा एक सड़क पुल एप्रोच रोड के इंतजार में है. इसके अलावा यहां एक डबल लाइन रेल पुल एवं छह लेन सड़क पुल का निर्माण भी शुरू हो चुका है. जिसके कारण बेगूसराय आसपास के जिलों तथा सुदूरवर्ती क्षेत्रों से पूरी तरह कनेक्टेड है तथा निकट भविष्य में यह कनेक्टिविटी और बेहतर होने जा रही है. फोर लेन फिनिशिंग स्टेज में है, रिफाइनरी और थर्मल का विस्तारीकरण कार्य चल रहा है, फर्टिलाइजर का नवीकरण शुरू है. वहीं एनटीपीसी बाढ़, सीआरपीएफ मोकामा, लखीसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, खगडि़या इत्यादि जिलों की भौगोलिक स्थिति उन्हें बेगूसराय से जोड़ती है. यहां से नियमित एवं समुचित कॉमर्शियल हवाई सेवा की शुरुआत होती है तो इसे लाभप्रद, कारगर और सफल होने में कही समस्या नहीं है. अभी प्रतिदिन बेगूसराय के तकरीबन 25-30 व्यक्ति हवाई यात्रा के लिये पटना एयरपोर्ट का सहारा लेते हैं और उनका चार-पांच घंटा रास्ते में ही निकल जाता है.
गौरतलब है कि उलाव हवाई अड्डा के पास पर्याप्त 60 एकड़ भूमि है जो 75 प्रतिशत सदर अंचल में व 25 प्रतिशत बरौनी अंचल क्षेत्र में पड़ता है. सरकार द्वारा इसे सुरक्षित करने के लिये योजना बनायी गई तथा 2009-2010 में चाहरदिवारी के लिए आवंटन भी मिला. लेकिन बेगूसराय सदर तथा बरौनी अंचलाधिकारी द्वारा रूचि नहीं लेने के कारण भूमि का मापी नहीं होने से योजना अधर में लटक गया. 2015 में बिहार सरकार के आम बजट को पेश करते हुए वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने हवाई अड्डे का निर्माण, रनवे जीर्णोद्धार की बात कही थी. जिसके बाद यहां आठ करोड़ की लागत से रनवे का निर्माण कर लाउंज भी बना दिया गया है. रेल यात्री संघ एवं नमक सत्याग्रह स्थल के राजीव कुमार, मुकेश विक्रम आदि कहते हैं कि अरुणाचल प्रदेश स्थित पासीधाट एयरपोर्ट के मात्र एक हजार मीटर लंबे रनवे से पिछले साल 42 सीट वाले हवाई जहाजों की व्यावसायिक उड़ान सेवा की शुरुआत हो सकती है तो बेगूसराय के उलाव स्थित एयरपोर्ट का रनवे भी एक हजार मीटर से कम नहीं है और सरकार यदि चाहे तो इसकी लंबाई कुछ बढ़ाई भी जा सकती है. जरूरत है संबंधित अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा दूरदर्शी नेतृत्व व इच्छाशक्ति के साथ ठोस पहल करने की.
आजादी के बाद यहां तीन प्रधानमंत्री इंदरा गांधी, राजीव गांधी और नरेन्द्र मोदी (दो बार) आ चुके हैं. चीन से युद्ध के समय एवं बाढ़ के समय वायुसेना द्वारा इसका इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन हवाई सेवा शुरू नहीं किये जाने के कारण रनवे आसपास के गांव का रास्ता, नेताओं का सभा स्थल, पशुओं का चारागाह और वाहन सीखने का मैदान बनकर रह गया है.
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