बड़ी खबर : चारा घोटाला में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा
अभिषेक श्रीवास्तव
21 वर्ष पहले सयुंक्त बिहार-झारखंड के दौरान हुए चर्चित चारा घोटाले से जुड़ी देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में आखिरकार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को सजा हो गयी. पिछले चार दिनों से चल रहे इस मामले का अंत करते हुए शनिवार को रांची स्थित सीबीआई की अदालत में जज शिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई. साथ उनपर पांच लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया.
बता दें कि पिछले 21 वर्षो से चल रहे चारा घोटाले के नाम से प्रसिद्ध इस मामले में रांची की सीबीआई कोर्ट के जज शिवपाल सिंह ने गत 23 दिसम्बर को लालू प्रसाद सहित सभी 16 आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन जनवरी को सजा सुनाये जाने के लिए तिथि निर्धारित की थी. जिसके बाद से हिरासत में लिए गये राजद सुप्रीमो रांची जेल में बंद थे. तीन जनवरी से रोजाना लालू कोर्ट लाये जाते लेकिन अन्य आरोपियों की सुनवाई के कारण उनकी सजा का ऐलान नहीं हो पा रहा था. इस दौरान लालू यादव ने सजा माफ़ किये जाने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किया. उनके समर्थको द्वारा जज को फोन भी किये गये. खुद लालू प्रसाद ने भी जज से काफी अनुनय-विनय किया. कभी उन्होंने जेल में ठंड लगने की बात बतायी तो कभी वहां की कुव्यवस्थाओं के बार में बताया. लेकिन जज पर इसका ओई असर नहीं हुआ और उन्होंने लालू प्रसाद को जेल में किताब पढने से लेकर तबला और हारमोनियम तक बजाने की नसीहत दे डाली. वहीं शनिवार को जज ने उन्हें साढ़े तीन साल की सजा सुनाते हुए जेल में ही गाय पालने की नसीहत भी दी.
गौरतलब है कि लालू प्रसाद को सजा सुनाये जाने के बाद उच्च न्यायलय में अपील किये जाने को लेकर तुरंत ही उसी कोर्ट में उनकी जमानत की अर्जी दिए जाने के कयास लगाये जा रहे थे. इस बीच जज शिवपाल सिंह ने शनिवार की दोपहर दो बजे मामले में अन्य आरोपियों की सुनवाई पूरी करते हुए शमा चार बजे विडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा सजा सुनाये जाने का समय मुकर्र किया और शमा को चारा बजे लालू प्रसाद की सजा का ऐलान किया. जिस कारण लालू प्रसाद के जमानत की अर्जी दाखिल किये जाने का समय नहीं मिल सका. नतीजतन, लालू को अभी जेल में ही रहना होगा. अब उनके अधिवक्ता द्वारा सोमवार को कोर्ट में जमानत की अर्जी दिए जाने की सम्भावना है.
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