सीवान : इंडी गठबंधन के भारत बंद का रहा मिला जुला असर

सीवान || जिले में बुधवार कों ट्रेड यूनियन के हड़ताल के समर्थन एवं वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के विरोध में इंडी गठबंधन के भारत बंद का मिला जिला असर देखने को मिला. राजद और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ वाम दलों के कार्यकर्ता अहले सुबह से हीं झंडा-बैनर के साथ सड़को पर उतर रोड जाम करने लगे. जाम कर्मियों ने चुनाव के मतदाता सूची पुनरीक्षण पर रोक लगाने और इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए केंद्र और राज्य की नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला और उनके खिलाफ नारे लगाएं.

बता दें कि इस हड़ताल में सीपीआईएम, सीपीआई, भाकपा माले, कांग्रेस और राजद आदि दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया. चार श्रम कानूनों को वापस लेने, ठेका प्रथा बंद करने, संविदा कर्मियों को नियमित करने को लेकर पूरा बिहार के साथ सीवान में जोरदार प्रदर्शन हड़ताल हुआ, जिससे पूरा जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. शहर के जेपी चौक और गोपालगंज मोड़ पर जाम कर्मियों ने रोड जाम करते हुए यातायात पूरी तरह से बाधित कर दिया. विपक्ष के नेताओं ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले चुनाव आयोग के निर्देश नैतिक करोड़ों मतदाताओं के मतदान के अधिकार को संकट में डाल दिया है.

उक्त निर्देश से बिहार के लगभग आठ करोड़ मतदाताओं को विशेष सघन पुनरीक्षण प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें 11 प्रकार के दस्तावेज मांगे गए हैं. बिहार के गरीब, ग्रामीण, वंचित वर्ग के पास ये दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं.इससे करोड़ों मतदाताओं को मताधिकार से वंचित होना पड़ेगा. केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलीभगत कर ऐसा षड्यंत्र रच रही है कि इन मतदाताओं को मतदान से अलग कर अपने पक्ष में बहुमत हासिल किया जाय, क्योंकि उनको डर है कि ये मतदाता इंडी गठबंधन को ही मतदान करेंगे. चुनाव आयोग ने किसी भी राजनीतिक दल से बिना परामर्श के तुगलकी फरमान जारी कर दिया है. वैसे भी बिहार किसानों, मजदूरों, गरीबों का राज्य है साथ ही जुलाई अगस्त का महीना खेती का मौसम होता है. अब जनता दस्तावेज जुटाए या जीविकोपार्जन में लगे उहापोह में है. उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन की मांग है कि इस तुगलकी फरमान को चुनाव आयोग तुरंत वापस ले नहीं तो इससे भी बड़ा जनांदोलन शुरू होगा, जिसके लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और चुनाव आयोग जिम्मेदार होगा. (ब्यूरो रिपोर्ट).