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सीवान : महिला आरक्षण बिल की मांग को लेकर ऐपवा ने निकला प्रतिवाद मार्च

अभिषेक श्रीवास्तव

सीवान में गुरूवार को भाकपा माले की महिला इकाई ऐपवा ने संसद के शीतकालीन सत्र में महिला आरक्षण बिल पारित किये जाने की मांग को लेकर प्रतिवाद मार्च निकाल जमकर प्रदर्शन किया. प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व ऐपवा की जिला अध्यक्ष मालती राम व सचिव सोहिला गुप्ता ने किया.

बता दें कि प्रतिवाद मार्च खुरमाबाद स्थित पार्टी कार्यालय से शुरू हो कर विभिन्न मार्गों से होते हुए जेपी चौक पर आ कर एक सभा मे तब्दील हो गयी. वहीं सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की जिलाध्यक्ष मालती राम ने कहा कि विगत दो दशको से भारत मे महिला संगठनों की ओर से संसद व विधानसभाओं मे महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग की जा रही है. 1996 के बाद आई सभी सरकारों ने महिला आरक्षण बिल पास करने का वादा किया. लेकिन सभी सरकारें अपनी वादे से मुकर गई, यह विधेयक कई बार संसद मे पेश हुआ. लेकिन कभी भी इसपर मतदान नही करवाया गया. उन्होंने कहा कि कई दल इस बिल का विरोध यह कहते करते रहे है कि इस आरक्षण के भीतर अन्य पिछड़ा वर्ग के महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए. ऐपवा को ऐसे किसी भी प्रवधान से आपत्ति नही है. यह हमारे संगठन की ओर से बहुत पहले स्पष्ट कर दिया गया है. लेकिन आरक्षण 33 से कम करने या एक लोक सभा क्षेत्र से एक महिला एक पुरुष जैसे दो प्रतिनिधियों के चुनाव का ऐपवा ने हमेशा विरोध किया है क्योकि यह महिला आरक्षण के मूल भावना के खिलाफ है.

वहीं सचिव सोहिला गुप्ता ने कहा कि विगत तीन वर्षो मे पूरे देश मे महिलाओ पर सार्वजनिक हमले बढ़े हैं. शिक्षण संस्थानों के अंदर भी महिलाओं पर सार्वजनिक हमले बढ़े हैं. यौन हिंसा पर जिस संवेदनहीनता के साथ जो रवैया अपनाया गया. इससे जाहिर होता है कि आज भी वह चिंतन हावी है कि महिलाओं को चुप रहना चाहिए और उनका स्थान पुरुषों से नीचे है. उन्होंने कहा कि राजनीति भागीदारी क्षेत्रों मे जेंडर गैप के पैमाने पर दुनिया के 144 देशों की सूची मे भारत का 108 वां स्थान है. आजादी के 70 साल बाद भी संसद मे सिर्फ 12 प्रतिशत महिलाएं है. इसलिए महिला आरक्षण बिल पास करना अब बहुत जरूरी है. इस बिल को 2010 मे राज्य सभा ने पारित किया था. लेकिन लोकसभा पारित नही कर पाया. 2017 मे देश के अधिकांश दलों ने इस बिल का समर्थन किया है. असहमति के वावजूद विरोध नही करने की बात की है. इसलिए आपके प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार के पास इसे बिना टाल मटोल के पास होना चाहिये. उन्होंने मांग किया कि संसद के शीतकालीन शत्र मे इस बिल को पेश कर इसपर मतदान कराया जाय ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव मे 33 प्रतिशत महिलाएं संसद मे पंहुच सके.

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