नालंदा : इंसान तो दूर जानवरों के भी खाने लायक नहीं रहा बाढ़ पीड़ितों के लिए लाया गया चूड़ा, कूड़े के साथ हुआ निस्तारण
नालंदा में बिहारशरीफ प्रखंड कार्यालय स्थित संयुक्त श्रम संसाधन केन्द्र में प्रशासनिक अधिकारियों की चूक नहीं, बल्कि यह उनकी अनदेखी का नतीजा है कि साल 2019 में बाढ़ पीड़ितों के बीच बांटने के लिए लाया गया चूड़ा गुड़ दवा समेत अन्य सामान बर्बाद हो गया. भवन के तीन कमरों में रखे चूड़ा, गुड़, पॉलीथिन, ओआरएस, जीवनरक्षक दवाइयां व लाखों के अन्य सामान पूरी तरह बर्बाद हो गये. चूड़ा इस कदर सड़ गया है कि वह जानवर के खाने लायक भी नहीं है. अंत में उसे आज नगर निगम के कर्मियों ने ट्रैक्टर पर लादकर कूड़ा के साथ उसे फेंक दिया.
कर्मियों ने बताया कि वर्ष 2019 में इन सामानों की आपूर्ति नालंदा आपदा विभाग को की गयी थी. लेकिन, वितरण नहीं किया जा सका. गुरुवार को जिला आपदा प्रबंधन के आदेश पर नगर निगम के वाहन पर लोड कर पीड़ितों के लिए लाये गये सामान को शहर के बाहर फेंकवा दिया गया. नगर आयुक्त तरणजोत सिंह ने बताया कि आपदा विभाग के पत्र के अनुसार निगमकर्मियों ने बर्बाद हो चुके सामान को डम्पिंग प्वायंट में फेंक दिया. वहीं आपदा प्रबंधन की प्रभारी पदाधिकारी उपासना सिंह ने बताया कि उक्त सभी सामग्री गया के वेंडर द्वारा वर्ष 2019 में आपूर्ति की गयी थी. उस समय ही वेंडर को कहा गया था कि जो सामान आपूर्ति की गयी है वह इंसानों के खाने लायक नहीं है. वेंडर को सामान ले जाने के लिए अब तक आठ बार पत्राचार किया जा चुका है. फिर भी सामान वापस नहीं ले गया. अधिकारी का यह भी कहना है उन सामानों के लिए राशि का भुगतान वेंडर को नहीं किया गया है.
तीन साल तक नहीं ली गयी सुध :
इंसानों के नहीं खाने लायक खाद्यान्न आपूर्ति किये गये सामानों की सुध लेने की फुर्सत प्रशासनिक अधिकारियों को तीन साल बाद मिली. हालांकि, राशि का भुगतान हुआ है अथवा नहीं, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा. लेकिन, लोगों ने सवाल उठाया है कि चूड़ा खाने लायक नहीं था. गुड़, ओआरएस, जीवनरक्षक दवाइयां, पॉलीथिन शीट व अन्य सामानों को इस तरह बर्बाद होने के लिए छोड़ देना कहां तक उचित है. क्या यह देश की क्षति नहीं है. गोदामों में बंद ओआरएस व जीवनरक्षक दवाइयां एक्सपायर हो गयीं. दवाइयों को अगर गरीबों के बीच वितरित कर दिया जाता तो यह स्थिति नहीं आती, यह तो लापरवाही की हद है. (प्रणय राज की रिपोर्ट).
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