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सीवान : महंगाई और GST पर आस्था पड़ रही भारी, छठ पूजा को लेकर जमकर हो रही खरीदारी

अभिषेक श्रीवास्तव

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर सीवान में इन दिनों महंगाई अपने चरमोत्कर्ष पर है. आम दिनों में काफी सस्ती और लगभग ना के बराबर बिकने वाली मामूली सब्जियों से लेकर फलों और पूजा की अन्य सामग्रियों के भाव आसमान छूते नजर आ रहे हैं. इन सब के बावजूद महंगाई पर आस्था भारी पड़ रही है और लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं.

सूर्य उपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुकी है. चार दिनों तक चलने वाले इस निर्जला व्रत में कई प्रकार के फल, सब्जिया और खाद्य पदार्थो का प्रसाद के रूप में प्रयोग होता है. लिहाजा, सीवान में छठ पूजा सामग्रियों की अलग से अनगिनत दुकाने सज गयी हैं. जिनपर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. छठ पर्व के अवसर पर इन सब्जियों, फलो और और सामानों की कीमतों में बेतहासा वृद्धि हुयी है. बावजूद इसके छठ पूजा में आस्था और श्रद्धा रखने वाले लोग अपनी पूजा को सम्पन्न करने के लिए जमकर खरीदारी कर रहे हैं.

वहीं छठ पूजा सामग्रियों की बिक्री करने वाले दुकानदार भी इस बात को मान रहे हैं हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार न सिर्फ महंगाई काफी बढ़ गयी है बल्कि नये कर जीएसटी के कारण वे भी ऊँची कीमतों पर सामनो की बिक्री करने को मजबूर हैं. छठ पूजा में प्रयोग होने वाले सामानों से सजे बाजार की रौनक पर गौर करे तो आम दिनों में 10 से 15 रूपए में मिलने वाले नारियल की कीमत 50 से 100 रूपए हो गए हैं.

वहीं गागल 50 रूपए जोड़ा और सिंघाड़ा 60 से 80 रूपए प्रति किलो मिल रहें हैं. इतना हीं नहीं मामूली अदरख, सुथनी और हल्दी के भाव भी बढ़ गए हैं. सांठी की चावल डेढ़ सौ रूपए किलो और अरता पात पांच रूपए प्रति पिस के हिसाब से बिक रहे हैं. जबकि सुपली और दौरे दो सौ से लेकर 300 रूपए की दर से बिक रहे हैं. वहीं फलों की कीमतों में भी बेतहासा उछाल आया हुआ है. जहाँ सेव 100 रुपया से लेकर 300 रुपये तक बिक रहे हैं तो नारंगी 100 रूपए किलो, केला 50 से 80 रूपए दर्जन और सरीफा 60 से 70 रूपए जोड़ा के भाव से व ईंख 25 रूपए पिस के हिसाब से मिल रही है. वहीं मिटटी के बने हाथी और कोसी 200 से लेकर पांच सौ रूपए तक और आम की लकड़ी 25 रुपये किलो के दाम से मिल रही है.

बहरहाल, बाज़ार में अचानक से आये इस उछाल के बावजूद लोग छठ पूजा के सामानों की बेहिचक खरीदारी कर रहे हैं. बढ़ी कीमते, महंगाई और जीएसटी लोक आस्था पर भारी नहीं पड़ रही है और सभी धूम-धाम और पूरी श्रद्धा के साथ छठ पूजा की तैयारियों में जुटे हैं. सच में छठ की छठा निराली होती है. जय छठी मईया.

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