सीवान : बड़हरिया में वंचित राशन कार्ड धारक पात्र लाभुकों के खाते में पहुंचने लगी सहायता राशि
सीवान के बड़हरिया प्रखंड के कार्यपालक सहायकों की मेहनत से हजारों की संख्या में राशन कार्ड धारक पात्र लाभुको के खाता में सरकार द्वारा भेजी जानेवाली राशि अब पहुचने लगी है.
बता दें कि हजारो की संख्या में लोग इस लाभ से वंचित थे. ऐसा उन लोगों के साथ हो रहा था, जिनका राशन कार्ड तो बना हुआ था. लेकिन उसके साथ जुड़ा खाता संख्या गलत था या आधार संख्या लिंक नही था या फिर खाता, आधार और राशन कार्ड के नाम मे अंतर था. अब इन लाभुकों के खाते में राशि जाने लगी है. ऐसा संभव हुआ है कार्यपालक सहायकों की मेहनत के कारण जो दिन रात लगकर आधार सीडिंग का काम प्रखंडों में कर रहे हैं.
गौरतलब है कि कार्यपालक सहायकों का नियोजन पंचायतो में संचालित सात निश्चय की योजनाओं के डॉक्यूमेंटेशन के लिए हुआ था. लेकिन प्रखंड में किसी डाटा के व्यापक पैमाने पर सुधार की बात आती है तो वहां कार्यपालक सहायकों को ही दायित्व सौंपा जाता है. दूसरे फेज में डीबीटी फेल का जिला का कुल टारगेट 99,723 का था. जिसमे केवल बड़हरिया का डाटा दस हजार से ऊपर का था. कार्यपालक सहायकों के मेहनत का परिणाम है कि आज हजारों डाटा में सुधार कर डीबीटी द्वारा लोगो के खातों में राशि पहुच गयी है. इससे इस लॉकडाउन की अवधि में कई घरों मे चुल्हा जलना भी नसीब हुआ है. प्रखंड में कार्यरात कार्यपालक सहायक आशुतोष कुमार मिश्रा, रविकुमार रजक, गोविंद कुमार, रमेश कुमार पंडित जैसे कार्यपालक सहायकों को तो कई बार रात के नौ बजे तक भी काम करना पड़ा है. इसके अतिरिक्त प्रखंड क्वारेंटाइन सेंटर पर भी इन्हें कार्य करना पड़ रहा है. आनेवाले प्रवासी श्रमिको के रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन करने की जिम्मेवारी इन्हें ही दी गयी है.
इस संबंध में बीडीओ अशोक कुमार कहते हैं कि कार्यपालक सहायक आज हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अब जबकि सभी काम कम्यूटर से हो रहे है. इनकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है. बहरहाल, कार्यपालक सहायक जी जान से अपने काम मे तो लगे हैं, लेकिन मात्र 12 हजार का मानदेय इन्हें संतुष्ट नही करता है. प्रखंड कार्यपालक सहायक नागेंद्र मांझी कहते हैं कि हमारे काम के हिसाब से वेतन में बढोत्तरी होना चाहिए. आज के जमाने मे इतना अल्प वेतन में गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. (राकेश रंजन गिरी की रिपोर्ट).
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