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चाईबासा : रंगरेटा सभा में अमृतसर से आए पद्मश्री और दरबार साहिब के हजूरी रागी निर्मल सिंह जी ने किया प्रवचन

चाईबासा में शुक्रवार को रंगरेटा महासभा के शहादत दिवस कार्यक्रम के तहत प्रवचन का आयोजन किया गया. एग्रिको मैदान में आयोजित इस तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में अमृतसर से आए पद्मश्री और दरबार साहिब के हजूरी रागी निर्मल सिंह जी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किया.

इस अवसर पर निर्मल सिंह जी ने कहा कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए 40 सिखों ने मिलकर 10 लाख की फौज से जो लड़ाई लड़ी उसमें बाबा जीवन सिंह जी की भूमिका अहम थी. बाबा जीवन सिंह जी गुरु गोविंद सिंह के ना सिर्फ रसोईया थे अर्दली थे बल्कि उनकी सेना के बहुत बड़े जरनैल थे जो दोनों हाथ से हथियार चलाने में माहिर थे. बाबा जीवन सिंह जी को गुरु ने “रंगरेटा गुरु का बेटा” और सफलता के लिए वरदान दिया था. बाबा जीवन जी सिंह जी ने हीं गुरु तेग बहादुर जी के शीष को शहादत के बाद गुरू गोविंद सिंह जी तक पहुंचाया था. हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सिखों का जो योगदान है वह पूरे विश्व में ऐतिहासिक है जिसकी तुलना कभी नहीं की जा सकती ऐसा त्याग और ऐसा बलिदान ना किसी धर्म में देखने को मिला और ना भविष्य में देखने को मिलेगा. सिखों को गुरुओं ने हमेशा सिखाया की आपस में प्रेम से रहो, मिल जुल कर रहो और अपनी मेहनत का कुछ अंश गरीबों में भी बांटो ताकि सामाजिक माहौल बना रहे. उन्होंने कहा कि प्रथम गुरु से लेकर दशम गुरु तक जो त्याग और बलिदान है यह सिर्फ और सिर्फ एकेश्वरवाद पर टिका हुआ है. हमारे गुरुओं ने एक ही ईश्वर और एक अल्लाह की इबादत सिखाई है. उन्होंने कहा कि गुरुओं ने सिर्फ आपसी भाईचारा, प्रेम और सामाजिक सुरक्षा के लिए ही हमें प्रेरित होना सिखाया है.

बता दें कि तीन दिवसीय रंगरेटा सभा के कार्यक्रम की शुरुआत अखंड पाठ से हुई थी.आज नामदा बस्ती गुरुद्वारा से सुबह में भव्य शोभायात्रा निकाली गई. उसके उपरांत कीर्तन और प्रवचन का कार्यक्रम भी एग्रिको मैदान में संपन्न हुआ. जहाँ संगत की सेवा के लिए लंगर के साथ-साथ पानी और चाय की भी सेवा प्रदान की गई. इस कार्यक्रम में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी सिख समुदाय समेत अन्य समुदाय के लोगों ने भी दर्शन एंव लंगर में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. (संतोष वर्मा की रिपोर्ट).

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