चाईबासा : सिंगापुर में आयोजित रफ्तार की रेस में मालुका के लाल ने किया कमाल, 18 वर्षीय यामिनी कांत नाग का नेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ चयन
संतोष वर्मा
अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो किसी प्रकार की बाधा भी सफलता की राह में आड़े नहीं आ सकती है. जगन्नाथपुर प्रखंड के मालुका निवासी 18 वर्षीय यामिनी कांत नाग ने इस कथन को सच कर दिखाया है. ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े तथा गरीब किसान परिवार में जन्मे यामिनी ने सिंगापुर में एक सप्ताह पूर्व आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की गो कार्ट रेसिंग ट्रेनिंग में उम्दा प्रदर्शन कर न केवल अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, बल्कि पहली कोशिश में ही नेशनल चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई भी कर लिया.
यामिनी कांत नाग ने वहां सर्पाकार गो कार्ट ट्रैक पर एक्स-30 रेसिंग कार (गो कार्ट, टू स्ट्रॉक इंजन तथा 30 बीएचपी) दौड़ाकर कई प्रतिद्वंदियों को पछाड़ कर रोट्रैक्स नेशनल चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई कर लिया है. यह चैंपियनशिप जुलाई माह में बेंगलुरू में होगा. मालूम हो कि यह महंगा खेल फार्मूला-1 रेसिंग की पहली सीढ़ी है. सिंगापुर गो कार्ट रेसिंग ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरू में आयोजित ट्रेनिंग में भी उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की थी. इसमें उन्होंने लेवल-1 की ट्रेनिंग में बेहतरीन ट्रैक टाइमिंग निकाली थी. इस वजह से लेवल-2 की ट्रेनिंग के पूर्व ही उसका चयन सीधे सिंगापुर के लिए कर लिया गया.
पिता विपिन गोप तथा माता जयंती गोप के पुत्र यामिनी का कहना है कि उनको गाड़ियों व रफ्तार का शौक बचपन से ही था. लेकिन उन्होंने कभी साधारण चारपहिया वाहन तक नहीं चलाया था. सीधे रेसिंग कार ही चलाई. चक्रधरपुर स्थित मधुसूदन महतो इंग्लिश मीडियम स्कूल से मैट्रिक व जगन्नाथपुर इंटर कालेज से इंटरमीडिएट उतीर्ण करने वाले यामिनी का ख्वाब रफ्तार के इस खेल में अंतराष्ट्रीय चैंपियनशिप में जीत हासिल कर देश का नाम रोशन करना है.
फार्मूला वन रेसिंग के पूर्व वर्ल्ड चैंपियन लुइस हैमिल्टन से प्रभावित होकर रफ्तार की दुनिया में कदम रखने वाले यामिनी के लिए इस महंगे मोटर स्पोर्ट्स में आना आसान नहीं था. उनका कहना है कि 2014 में एक पत्रिका में उन्होंने फॉर्मूला वन रेसिंग के वर्ल्ड चैंपियन लुइस हैमिल्टन के बारे में पढ़ा था. तभी से रफ्तार के प्रति उसकी रूचि जगी और इसी फील्ड में कुछ अलग करने की सोची. जब उन्होंने घरवालों को इसके बारे में बताया तो उन्होंने काफी सोच-विचार के बाद इसका समर्थन किया. फिर यामिनी ने अपना बायोडाटा कई मोटर स्पोर्ट्स कंपनियों को भेजना शुरू किया। फोन पर भी बात की. मेहनत रंग लाई. प्रूडेंट मोटर स्पोर्ट्स नामक कंपनी कार्टिंग रेस ट्रेनिंग देने के लिए तैयार हुई. इसके बाद प्रशिक्षण के लिए बेंगलुरू बुलाया गया. वहां कई दिनों की ट्रेनिंग में बेहतर ट्रैक टाइमिंग के साथ उसका चयन सिंगापुर के लिए हुआ.
यामिनी का कहना कि यहां तक पहुंचने में टाटा स्टील व एसआर रूंगटा ग्रुप ने उनकी आर्थिक मदद की. तिरिल तिरिया नामक समाजसेवी ने टाटा स्टील से उनकी बात करवाई थी और वह उसका स्पांसर बनने के लिए तैयार हुआ. इसमें टाटा स्टील के सौरभ रॉय, सीएसआर चीफ जिरेन जेवियर टोपनो तथा मेघलाल महतो की भूमिका अहम रही.
यामिनी कांत नाग कहना है कि नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद इसी साल फॉर्मूला वन की भी टेस्टिंग करनी है. इसके अलावा दुबई, जापान समेत कुछ अन्य देशों में होने वाले कार्ट रेसिंग चैंपियनशिप में भाग लेने की योजना है. उन्होंने बताया कि सिंगापुर में ट्रेनिंग के दौरान कोच शॉन जो से अंतराष्ट्रीय रेसिंग के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला. यामिनी का मानना है कि झारखंड में खेल प्रतिभा की कमी बिल्कुल नहीं है. जरूरत है तो बस उसकी प्रतिभा को निखारने की. सुविधा मिले तो यहां से भी अच्छे खिलाड़ी निकल सकते हैं.
पिता विपिन गोप ने कहा कि मुझे बेटे की इस उपलब्धि पर गर्व है. मैं एक गरीब किसान हूँ. बहुत मुश्किल से किसी तरह पैसे की व्यवस्था कर उसे बेंगलुरू भेजा था. जहां उसका चयन सिंगापुर के लिए हुआ. सिंगापुर भेजने में टाटा स्टील तथा एसआर रूंगटा ग्रुप ने हमारी आर्थिक मदद की. तिरिल तिरिया के मार्गदर्शन से यह सब संभव हो सका।
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