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चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम लोकसभा सीट कांग्रेस व झामुमो के लिए बनी प्रतिष्ठा वाली सीट

संतोष वर्मा

चाईबासा में 2019 में होने वाली लोकसभा चुनाव को देखते हुए विपक्षी महागठबंधन दलों में सीटों को लेकर अभी से ही चर्चा ही खिंचातानी होनी शुरू हो गई है. वहीं कोल्हान प्रमंडलिय पश्चिमी सिंहभूम सिट को लेकर कांग्रेस व झामुमों के बीच दावेदारी को लेकर कयास शुरू हो गई है. इसी कयास को लेकर सिंहभूम लोकसभा सीट विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और झामुमो दोनों के लिए बेहद प्रतिष्ठा वाला सीट बन गया है. कांग्रेस और झामुमो दोनों इस आदिवासी बहुल सीट को छोडने के लिए तैयार नहीं है, जिससे विपक्ष में दरार अब सार्वजिनक हो गया है.

कोल्हान में सांगठनिक रूप से कमजोर कांग्रेस ने सिंहभूम लोकसभा सीट विपक्ष गठबंधन से हथियाने के लिए पूर्व सीएम मधू कोडा की पत्नी और जगन्नाथपुर की विधायक गीता कोडा को पार्टी में शामिल कराने का बडा दांव चला. लेकिन झामुमो ने कांग्रेस की इस चाल की हवा निकाल दी है. रविवार को सारंडा के गोईलकेरा में हजारों समर्थकों और झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन की मौजूदगी में विधायक दीपक विरूआ ने ऐलान कर दिया कि कांग्रेस और मधू कोडा-गीता कोडा का यह दांव किसी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे. दीपक विरूआ ने मधू कोडा व गीता कोडा के मंसूबे का पर्दाफाश करते हुए कहा कि वे लोग लोकसभा में जाने के लिए विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए हैं. वे लोग सोच रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन में शामिल होने जाने से उनकी जीत तय हो जाएगी, लेकिन झामुमो अपना दावा नहीं छोडेगा. दीपक विरूआ ने साफ कह दिया कि गुरूजी तीर-धनुष लेकर आएं हैं और लोकसभा का चुनाव झामुमो ही लडेगा और हर हाल में जीतेगा, इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए. दीपक विरूआ के इस ऐलान से मंच पर बैठे सभी झामुमो विधायक नेता, कार्यकर्ता और मौजूद हजारों लोगों ने तालियां बजा कर और नारे बाजी कर समर्थन कर दिया तो दूसरी तरफ झामुमो के ही खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने कांग्रेस को साफ कर दिया कि कोल्हान में झामुमो का संगठन मजबूत है और लोकसभा की 6 सीट में 5 पर उसका कब्जा है. जबकि गीता कोडा के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस का दावा सिर्फ जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर होना चाहिए. विधायक दशरथ गागाराई ने यह भी साफ कर दिया कि लोकसभा के लिए झामुमो का प्रत्याशी तय अभी तय हुआ है, लेकिन वह खुद लोकसभा का चुनाव लडने के लिए तैयार हैं और पार्टी के आदेश का इंतजार कर रहै हैं.

सिंहभूम लोकसभा सीट को लेकर झामुमो और कांग्रेस के बीच चल रहे खींचतान पर फिलहाल तस्वीर पूरी तरह साफ तो नहीं है, लेकिन कोल्हान में मजबूत सांगठनिक के बल पर झामुमो कांग्रेस को लोकसभा सीट आसानी से देने को कतई तैयार नहीं होगा. क्योंकि झामुमो और कोडा दंपति के बीच संबंध कभी बेहतर नहीं रहे हैं, दोनों का जनाधार लगभग एक ही है, इसलिए कांग्रेस किसी तरह सीट हथियाने में कामयाब हो भी गयी तो जीत में संदेह हो जाएगा, 2014 की कहानी फिर 2019 में दोहरायी जाएगी, जब कांग्रेस-झामुमो गठबंधन के बावजूद भाजपा सिंहभूम सीट जीतने में सफल रही और कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी थी.

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