बाढ़ : पंडारक में बिना सरकारी मदद के तैयार हो रहे हैं पहलवान
ब्रजकिशोर ‘पिंकू’
बाढ़ अनुमंडल के पूरब लगभग 12 किलोमीटर में स्थित पंडारक में बिना सरकारी मदद के अपने ही बलबूते चल रहे अखाड़ों में राज्य और देश स्तर के पहलवान तैयार हो रहें हैं और अपनी प्रतिभा से गांव के साथ बाढ़ का भी नाम रोशन कर रहे हैं.
बता दें कि पंडारक में 100 वर्ष पहले से पहलवानी की परंपरा चल रही है. 1885 में इसकी शुरुआत की गई. तैयार पहलवान एक बार दुर्गा पूजा में गांव में चार दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में दर्शक सहित सैकड़ों की संख्या में पहलवान भाग लेते हैं और सिर्फ बिहार का ही नहीं पूरे राज्य के पहलवान यहां जुटते हैं.
अखाड़ा बनाने का श्रेय मुखिया केदार पहलवान को जाता है. वे अपने निजी खर्च पर अखाड़े चलाते थे. इस अखाड़े से कई राष्ट्रीय स्तर के पहलवान अपनी पहचान बना चुके है. उनके बाद उदय पहलवान और श्रीकांत पहलवान अखाड़े की शुरू किया. प्रतियोगिता में यहां के पहलवान काफी अच्छे प्रदर्शन करते हैं. श्रीकांत के अखाड़े में लगभग 20 से अधिक युवाओं को रोज अभ्यास कराते हैं. महिला पहलवानों को भी इसमें अभ्यास कराया जाता है.
आधुनिक तकनीक और महंगे संसाधन नहीं रहने के कारण ही पहलवानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और महंगाई में खुराक जुटाना भी काफी मुश्किल है. इस अभाव के बावजूद पहलवान काफी उत्साहित है और संसाधन नहीं रहने के बावजूद भी वह संघर्ष कर रहे हैं.
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