पटना में विधान सभा अध्यक्ष ने ‘साठोत्तरी हिंदी कविता का सामाजिक पक्ष’ का किया विमोचन
अभिषेक श्रीवास्तव
साहित्य और राजनीति समानांतर चलते हैं. साहित्यकार सामाजिक परिस्थितियों को आईने में दिखाते हैं जबकि राजनेता परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील होते हैं. 1960 के दशक में जो परिस्थितियों थी, वह परिस्थितियाँ अब…
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