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दुमका : एकलव्य माॅडल आवासीय बालिका विद्यालय, काठीजोरिया की जुनियर विंग की 50 एनसीसी गर्ल्स कैडेट्स ने शूटिंग रेंज पर की फायरिंग

दुमका जिला के चतुर्थ झरखण्ड गर्ल्स बटालियन एनसीसी दुमका सुबेदार मेजर मोहर सिंह के निर्देशन में बुधवार को एकलव्य माॅडल आवासीय बालिका विद्यालय, काठीजोरिया, दुमका की जुनियर विंग की 50 एनसीसी कैडेटस को नकटी फायरिंग रेंज पर फायरिंग करवायी गई.

टारगेट पर फायरिंग करते हुए छात्राएं अपने आपको गौरान्वित महसूस कर रही थी. उन्होंने पहली बार रायफल से गोली चलाने का अनुभव प्राप्त किया. एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर (एएनओ) सुमिता सिंह ने बताया कि कैडेट्स बहुत उत्साहित हैं. ये संताल और पहाड़िया बच्चियां है जिन्होंने इससे पहले पुलिस और नक्सलियों को ही फायरिंग करते देखा है. आज इन्होंने खुद रायफल से फायरिंग की है, ये बहुत अच्छा महसुस कर रही है. ये बहुत आगे बढ़ना चाहती है, कुछ कर गुजरने की क्षमता इनमें है, जरूरत है बस इन्हें एक मौका देने की.

सुमिता सिंह बताती हैं कि ये संताल आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया लड़कियां सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं. वे सेना एवं पुलिस में भर्ती होकर समाज एवं देश की सेवा करना चाहती है जिसके लिए यह अवसर उन्हें मिल रहा है. उन्होंने कहा कि बंदुक या तो आकर्षित करता है या उससे भय होता है. हमारे यहां दुमका और पाकुड़ जिले के उग्रवाद प्रभावित इलाकों की छात्राएं भी पढ़ाई करती हैं जो दूसरों की सुरक्षा के लिए बंदुक उठा कर देश की सेवा करने की इच्छा रखती है तो इस मायने में यह एक महत्वपूर्ण पहल भी है.

दुमका के बनकाठी गांव की नेहा मुर्मू ने कहा कि उसने इससे पहले फिल्मों में और पुलिस वालों के पास ही रायफल देखी थी. पहली बार उसने खुद रायफल पकड़ा है और फायरिंग की है. वह आगे चलकर आर्मी आॅफिसर बनना चाहती है. पाकुड़ जिला की रहनेवाली एनसीसी कैडेट कहती है कि वह फायरिंग कर बहुत खुश है. वह पुलिस वाली बनना चाहती है. वहीं हिरणपुर, पाकुड़ की शीलू पहाड़िया ने कहा कि फायरिंग कर उसे अच्छा महसुस हो रहा है और इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है.

वहीं सुबेदार मेजर मोहर सिंह ने कहा कि एनसीसी के सभी कैडेट्स को .2-2 रायफल से फायरिंग करनी निहायत जरूरी है. यहां से फायरिंग में बढ़िया करने पर ग्रुप, डायरेक्ट्रेट और फिर थल सेना कैंप, दिल्ली में फायरिंग करने का मौका मिलता है. थल सेना में अच्छे फायरिंग करनेवाले कैडेट्स की नियुक्ति की जाती है. एनसीसी का सी सर्टिफिकेट पास करनेवाले कैडेट्स को सीआरपीएफ और झारखण्ड पुलिस आदि के नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जाती है, इनको लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती है और प्रतिशत में भी छूट मिलती है. उन्होंने बताया कि एनसीसी के बी एवं सी सर्टिफिकेट की परीक्षा में वही कैडटे शामिल हो सकता है जिसने फायरिंग किया हो. प्रत्येक कैडेट्स को 5 राउंड फायरिग का मौका दिया गया जिसमें से कई कैडेट्स ने 5 या 4 गोलियां टारगेट पर मारा है. इन्हें अभी और अभ्यास करवाया जायेगा जिससे इनकी फायरिंग और सटीक हो जायेगी.

मौके पर सुबेदार ब्रह्म सिंह, बीएचएम मुखिया, सीएचएम अनिल कुमार, कन्हैया और डीसी यादव ने गर्ल्स कैडेट्स को फायरिंग की सही पोजिशन, रायफल में गोली भरने और खोखा निकालने और निशाना लगाने की सही तकनीक बताया.

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