सीवान : भाई के लिए बहनों के प्यार का त्योहार पीड़िया व्रत हर्षोल्लास के साथ संपन्न
सीवान में बड़हरिया प्रखंड के यमुना गढ़ स्थित देवी मंदिर पर लगने वाला पीड़िया व्रत का मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया. प्रखंड क्षेत्र के कोइरी गावा, कुवही, लौवान, हरदिया बड़हरिया पुरानी बाजार, सूरहिया, तेतहली, सतनारायण मोड़, समेत दर्जनों गांव की लड़कियों द्वारा अपनी अपनी टोली के साथ शुक्रवार की सुबह यमुना गढ़ स्थित तालाब पर पहुंचकर महीनों से दीवाल पर लगा पीड़िया को व्रत के साथ पीडिया के पारंपरिक गीतों के साथ बड़े ही उत्साह के साथ विसर्जन किया और साथ ही कन्याएं आपस में चिउड़ा और मिठाई एक दूसरे से आदान-प्रदान कर फिर पारण कर अपना व्रत तोड़ा.
यमुना गढ़ स्थित देवी मंदिर प्रांगण में मेला सा दृश्य हो गया था. हजारों की संख्या में पीड़िया व्रत धारी कन्याएं अपने अपने टोली के साथ डीजे और आर्केस्ट्रा के साथ पहुंची हुई थी. बताते चले कि भारत में हर रिश्ते के लिए एक त्यौहार है। और भाई बहन के लिए तो कई त्यौहार मनाए जाते हैं. ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पर्व पीड़िया व्रत है. पौराणिक कथाओं में इसका महत्व प्राचीन काल से ही बताया जाता है. पीड़िया के नाम से प्रचलित व्रत को ज्यादातर लड़कियां ही करती हैं. पीडिया व्रत के माध्यम से अपने भाइयों की खुशहाली, लंबी उम्र, सुख समृद्धि की कामना करती है.
व्रत के संबंध में बताते हैं कि इसमें रात भर जाग कर पीड़ियों के गीतों के माध्यम से पूजा का विधान है. इसकी शुरुआत गोवर्धन पूजा के दिन से ही हो जाती है. गोवर्धन पूजा के गोबर से ही घर के दीवारों पर छोटे-छोटे पडो के आकार में लोकगीतों के माध्यम से पीड़िया लगाई जाती है और व्रत के दिन छोटी-बड़ी दोनों कथाएं सुनती है. इस व्रत में नए चावल में गुड़ का रसियाव बनाया जाता है. जिससे व्रती दिन भर उपवास रहने के बाद शाम को सोरहिया के साथ ग्रहण करती है. इसमें एक खास बात यह है कि व्रत रखने वाली लड़की के जितने भाई होते हैं उसी संख्या के हिसाब से प्रति भाई 16 धान से चावल निकाल कर सोरहिया निगलती है. व्रत के बाद इस पड़ को नदी या तालाब में पीड़िया के पारंपरिक गीतों के साथ बड़े ही उत्साह से विसर्जित करती है. (राकेश रंजन गिरी की रिपोर्ट).
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