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सीवान : त्याग, बलिदान एवं शहादत का त्योहार मोहर्रम शांतिपूर्ण संपन्न

सीवान || जिले में त्याग, बलिदान एवं शहादत का त्योहार मोहर्रम बुधवार को यौमे आसुरा (10 मुहर्रम) का ताजिया, आखाड़ा और जुलूस शांतिपूर्ण और सौहार्द के माहौल में सम्पन्न हो गया.

शहर के सबसे बड़ा और नम्बर एक आखाड़ा दखिन टोला के सैदानी चौक से सैय्यदानी बीबी का ताजिया दिन के 04:45 बजे निकला जो पुराना किला मुहल्ला स्थित किला चौक पर तवाफ़ यानी दो चक्कर लगाया गया फिर बहुत सारा ताजिया सैय्यदानी बीबी के ताजिया के साथ निकल पड़ा जो शुक्ल टोली, सर सैयद चौक, शेख मुहल्ला, चूड़ी मंडी, मेहिया कुम्हार टोली के रास्ते शांति वट वृक्ष पहुंचा, जहां जिला प्रशासन की ओर से कैम्प लगाया गया था. वहां सुरक्षा हेतु पुलिस की भारी तैनाती की गई थी. यहां से ताजिया सोनार टोली, चिक टोली, मौलशरी चौक, पटवा टोली के रास्ते नया किला पहुंचा, जहां किला मैदान में कुछ देर ठहरने के साथ ताजिया पहलाम के लिए अर्थात नया किला से नवलपुर के रास्ते कर्बला पहुंचा, जहां ताजिया में रखे गए मिट्टी का पहलाम किया गया. कर्बला में मगरीब से पहले यानी सूर्यास्त से पूर्व सैदानी बीबी का ताजिया पहुंचा. जहां रोजा (उपवास) रखे लोगों ने रोजा खोला. इसके बाद जिले के विभिन्न इलाकों से आए रंग-बिरंगे ताजिया शहर के चारो ओर से आकर शांति वट वृक्ष के रास्ते ही कर्बला पहुंचे जबकि बाकी आखाड़ा और जुलुस नया किला तक ही पहुंच कर वापस अपने गंतव्य पर लौट गए.

मोहर्रम के अवसर पर भिन्न-भिन्न प्रकार के ताजिया निकले हुए थे. जिनमें बांस, लकड़ी, प्लाई, थर्माकोल और फाईबर के ताजिया शामिल थे. इन ताजिया को कागज, कपड़ा, प्लास्टिक और गोटा का प्रयोग किया गया था. इन सभी ताजियों में रंग-बिरंगी डिजिटल लाईट के अलावा हैलोजन लाईट की रौशनी भी लगाई गई थी, जिससे ताजिया काफी आकर्षक और मनोरम दिख रहा था. शहर में ताजिया मार्ग के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी. वहीं महिला पुलिस की भी जगह-जगह मुस्तैद रहीं. मोहर्रम के ताजिया आखाड़ा के जुलूस में शामिल लोगों के लिए जगह-जगह विभिन्न मुहल्लों के नौजवान कमिटी और एनजीओ द्वारा शर्बत, पानी और खिंचड़ा का लंकर लगा था. ताजिया जुलूस को शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ जिला शांति समिति के सदस्य भी काफी सक्रिय देखे गए. जुलूस में हिन्दू समुदाय के लोगों ने भी हिस्सा लिया और एकता की मिशाल कायम किया. जगह-जगह हिन्दू समुदाय के लोगों ने भी शीतल पेय का स्टाल लगाया था. मुहर्रम के ताजिया आखाड़ा में सामाजिक सौहार्द और सामाजिक समरसता कायम करने वाले बैनर भी देखे गएं, जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया. इस तरह देर रात तक सभी ताजिया का समापन हुआ. (सेंट्रल डेस्क).

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