कैमूर : चैनपुर में दलित बस्ती पर हमले के बाद गरजे बसपा के केंद्रीय प्रभारी अनिल कुमार, बोले – बिहार में शासन और प्रशासन का इकबाल परी तरह से समाप्त

कैमूर/भभुआ || जिले के चैनपुर के पर्वतपुर गांव में दलित समुदाय पर अपराधियों के हमले के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के केंद्रीय प्रभारी अनिल कुमार ने शुक्रवार को पर्वतपुर गांव पहुंच पीड़ित परिवारों से मुलाकात की, जहां घटना को वीभत्स और अमानवीय बताते हुए अनिल कुमार ने एनडीए सरकार और प्रशासन पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि बिहार में शासन और प्रशासन का इकबाल पूरी तरह समाप्त हो चुका है और अब सत्ता पूरी तरह माफियाओं के हाथ में चली गई है, क्योंकि जो जहां बसपा प्रभावी है, वहीं कमजोर शोषित वंचित, दलित और पिछड़ों पर अपराधिक किस्म के लोग अत्याचार कर रहा है. आरा के उदवंतनगर में 15 से अधिक लोगों को गोली लगी और आज यहां दलित समुदाय को निशाना बनाया गया. यह डबल इंजन की सरकार की विफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.

उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि महिलाओं पर हमले के बावजूद महिला पुलिस अधिकारी तक नहीं भेजी गईं. आगे उन्होंने कहा कि “बेटी बचाओ” का नारा देने वाली सरकार अपने ही नारों की हत्या कर रही है. यह सब आगामी चुनाव से पहले डर का माहौल पैदा करने की सुनियोजित कोशिश है. वहीं पर्वतपुर गांव में पीड़ितों से मिलने के बाद कैमूर के एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में अनिल कुमार ने कहा कि बिहार में शोषित, वंचित, दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को दबाने की साजिश रची जा रही है. जंगलराज से जिन लोगों ने हमें बचाने की बात कही थी, वही अब बिहार को महाजंगलराज में धकेल चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की सत्ता पर माफिया, सामंतवादी और मनुवादी ताकतों का कब्जा हो गया है और डबल इंजन की सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि बसपा सुप्रीमो बहन मायावती और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम इस घटना को लेकर गहरी चिंता में हैं और उनके निर्देश पर हीं वे मौके पर पहुंचे हैं.
अनिल कुमार ने आश्वासन दिया कि बसपा दलितों, पिछड़ों और शोषितों के अधिकारों की लड़ाई हर मंच पर लड़ेगी और सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करती रहेगी, आगे उन्होंने बिहार की सरकार को यह गारंटी देनी होगी कि शोषित, वंचित, पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों पर अब अत्याचार नहीं होगा और दोषियों को सजा दिलाकर हीं न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है. क्योंकि यह घटना न सिर्फ कैमूर ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है. यदि सरकार और प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की तो जनता का विश्वास लोकतंत्र से उठता चला जाएगा. उन्होंने कैमूर जिला प्रशासन पर भी सवाल उठाया कि पर्वतपुर गांव में जब तीन बार गरीबों दलितों को घर में घुसकर मारा पिता गया तब प्रशासन ने मामला को शांत क्यों नहीं कराया, अगर इसमें की प्रशासन के अधिकारी की लापरवाही है तो उसे सस्पेंड क्यों नहीं किया गया. (विशाल कुमार की रिपोर्ट).