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छपरा : परमहंस दयाल जी की 175 वीं जयंती की तैयारी में जुटे श्रद्धालु, हिन्दू-मुस्लिम व सिख समुदाय के लोग हैं अनुयायी

धर्मेन्द्र कुमार रस्तोगी

छपरा यानी सारण की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व गौरवशाली धरती हमेशा से ऋषि-महर्षियों की तपोभूमि भी रही है. इसी धरती पर एक निष्काम सिद्धयोगी श्रीस्वामी अद्वैतानंदपुरी जी महाराज उर्फ परमहंस दयाल जी का जन्म 175 वर्ष पूर्व हुआ था. विज्ञान प्रेमानंद जी महाराज व ध्यान प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि अद्वैतस्वरूप की गुरु परंपरा के प्रतिष्ठाता अवधूत शिरोमणि तपोनिधि स्वामी अद्वैतानंद जी महाराज का उपदेश जनमानस के लिए अत्यंत ही सहज, सरल और सुगम है.

मात्र 17 वर्ष की आयु में ही इन्होंने अपने माता पिता व घर त्याग कर सत्यवादी महाराजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित द्वारा स्थापित रोहतास जिले के अतिकष्टदायी पहाड़ों के गुफाओं के बीच सिद्धि तपस्या में पूर्णत्व की प्राप्ति की थी. तपस्या में पूर्णत्व प्राप्ति के बाद देश के सभी तीर्थों एवं महापुरुषों से मिलते जुलते अपनी सिद्धि प्राप्त की थी. जयपुर के लालडूंगरी पर्वत पर भी कुछ वर्षों तक अपनी साधना की थी. भ्रमण के दौरान ही श्रद्धालुओं की विशेष मांग के बाद पाकिस्तान के टेरी में एक तेजस्वी योगी बेलीराम जी को अपना शिष्य बना कर साधना में लीन हो गए. इन्होंने मठ या मन्दिर मस्जिद बनवाने के साथ ही अपने शिष्यों की जमात के खिलाफ रहा करते थे.

पाकिस्तान के टेरी स्थित आश्रम के अनुयायी व इनके परम शिष्य बेलीराम जी की ऊंची साधना से प्रसन्न होकर गुरुवर परमहंस दयाल जी ने उन्हें नानक व कबीर जैसे सरीखे पूर्णज्ञानी परमहंस की पदवी प्रदान की थी.  उन्होंने बेलीराम जी को अपना सम्पूर्ण आध्यात्मिक उत्तराधिकार सौंपते हुए वर्ष 1919 में पाकिस्तान के टेरी में समाधि ले लिए.स्वरूपानंद जी महाराज के नाम से विख्यात हुए थे स्वरूपानंद जी ने परमहंस दयाल जी के उपदेश को देश के अन्य हिस्सों में प्रचारित किया गया. सैकड़ो सन्यासियों में श्री नगली साहेब, मध्यप्रदेश के श्री परमहंस अद्वैत मठ के श्री आनंदपुरगुणा सहित कई अन्य संत महात्मा मौजूद थे.इन दोनों महापुरुषों ने बताया कि श्री परमहंस जी का सहज साधना एंव योगभक्ति ज्ञान के उपदेशों को मानने वाले विश्वभर में लाखों अनुयायी थे. 175 वां जन्मदिवस की तैयारी को लेकर इनके अनुयायी व स्थानीय श्रद्धालुओं ने शुरू कर दी है. मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम चंद्र जी के जन्मदिन को ही इनकी जयंती बड़ी धूमधाम से शहर के नारायण पैलेस में समारोह का आयोजन किया गया है.

रामनवमी के अवसर पर परमहंस दयाल स्वामी अद्वैतानंद महाराज की जन्मस्थली दहियांवा ब्राम्हण टोली से शोभा यात्रा निकाली जायेगी. परमहंस दयाल मंदिर से जुड़े श्रद्धालुओं व सन्तों ने बताया कि शोभा यात्रा दहियांवा मंदिर से निकल कर मुबारक लेन, डाकबंगला रोड, थाना चौक, साहेबगंज, खनुआ नाला होते हुए दलदली बाजार स्थित नारायण पैलेस में एक सभा के रूप में समाहित होगी. जिसमें नगरवासियों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से आये लगभग एक हजार अनुयायी शामिल होंगे. हरियाणा से आये संत विज्ञान प्रेमानंद जी महाराज व ध्यान प्रेमानंद जी महाराज और पंजाब से आये संत प्रेमानंद जी महाराज जी द्वारा भजन व प्रवचन का कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. स्वामी परमहंस दयाल जी का जन्म प्रमंडलीय मुख्यालय सारण छपरा के दहियावा स्थित ब्राह्मण टोली मुहल्ले निवासी प्रख्यात पंडित तुलसी पाठक जी के घर 1846 ई को रामनवमी के दिन हुआ था. मंदिर से जुड़े राजेश गुप्ता व अमर सोनी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी रामनवमी के अवसर पर परमहंस दयाल अद्वैतानंद जी महाराज की जन्मस्थली पर संत समागम किया गया है. 25 मार्च को जन्मोत्सव, मंगलगान, आरती व प्रयास वितरण होगा. कार्यक्रम के आयोजन में गोरख प्रसाद, ओमप्रकाश जायसवाल, मनोज कुमार, पुरुषोत्तम कुमार आदि शामिल हैं.

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