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सीवान में अपने बुलंद इरादे से सफलता की नई कहानी रच रहे हैं 60 वर्षीय किसान रामप्रवेश राम

अभिषेक श्रीवास्तव

बुलंद इरादे और कुछ कर गुजरने की चाहत जिस इंसान में हो उसकी सफलता में उम्र या कोई अन्य बाधा मायने नहीं रखते.इस बात को सच साबित कर दिखाया है सीवान के रामप्रवेश राम नामक एक किसान ने.जो उम्र के 60 बसंत पार करने के बाद केला की खेती कर न सिर्फ बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि अपने क्षेत्र में एक अलग पहचान भी बना ली है.दरौली प्रखंड स्थित कोरम गाँव निवासी 60 वर्षीय राम प्रवेश राम ने सफलता की एक नयी कहानी गढ़ी है.जवानी के दिनों में रामप्रवेश राम पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जिला अंतर्गत टीटागढ़ में एक पेपर मिल में काम किया करते थे लेकिन 30 वर्ष पहले पेपर मिल बंद हो गया और वे वापस अपने गाँव कोरम आ गए.

तब उन्होंने अपने पुरखो से विरासत के रूप में मिली जमीन पर गन्ने की खेती का काम शुरू किया लेकिन दो दशक पहले सीवान जिले से सभी गन्ने के मिलों के बंद हो जाने के कारण रामप्रवेश राम आर्थिक तंगी से गुजरने लगे.दो दशक तक तंगहाल और बदहाली का जीवन गुजर बसर करने के बाद रामप्रवेश राम ने 2014 में अपनी दो एकड़ की पुश्तैनी जमीन पर केले की खेती शुरू किया.आज रामप्रवेश राम के केले पुरे सारण प्रमंडल में फेमस हो गए हैं और हाजीपुरिया केले को टक्कर दे रहे हैं.रामप्रवेश राम की माने तो पहले साल उन्हें मार्केटिंग का अनुभव नहीं होने के कारण पर्याप्त पैदावार होने के बावजूद अच्छा मुनाफा नहीं हुआ लेकिन अब मार्केटिंग के गुर सिखने के बाद उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.आज रामप्रवेश राम ने अपने दो एकड़ के केले की खेती के लिए कई सहयोगियों को भी रख रोजगार मुहैया कराया है.वहीं उन्हें प्रति वर्ष सवा लाख की लागत पर तक़रीबन चार लाख का शुद्ध लाभ मिलता है.

किसान रामप्रवेश राम के इस सफलता से उनके गाँव के लोग उनकी जमकर तारीफ करते हैं और गाँव के कई किसान अब केले की खेती की तरफ उन्नमुख भी हो रहे हैं.ग्रामीणों की माने तो दो साल पहले जब रामप्रवेश राम ने केले की खेती शुरू की तो सभी लोग आश्चर्य से भर गए थे और ये अंदाजा लगा लिया था कि रामप्रवेश इस खेती से भारी कर्ज में डूब जायेंगे.लेकिन अब वही लोग उन्हें एक मिसाल के रूप में देख रहे हैं.

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