महिला दिवस विशेष : सीवान के गुठनी प्रखंड के बलुआ की शिला जगा रही लोगों में शिक्षा का अलख
खुदी को कर बुलन्द इतना कि तकदीर से पहले खुदा खुद पूछे कि बता बन्दे तेरी रजा क्या है. इस कहावत को सही साबित किया है सीवान के गुठनी प्रखंड स्थित बलुआ गांव की शिला देवी ने, जिनको दहेज की खातिर उनके ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया लेकिन शिला देवी ने हार नहीं मानी और अपने मायके आकर उन्होंने ऊँची शिक्षा हासिल की. आज शिला देवी न सिर्फ अपने ससुराल में वापस इज्जत के साथ आकर रह रहीं है बल्कि अन्य लोगों के बीच भी शिक्षा का अलख जगा रही हैं.
बता दें कि 1995 मे शादी के कुछ दिनो के बाद ही शिला देवी के ससुराल वाले लोग इनको प्रताडित करना शुरु कर दिए. मजबूरन उनको अपने मायके रहना पड़ा. करीब पांच साल मायके रहने के बाद शिला फिर वर्ष 2000 में वापस अपने ससुराल आई. इस बीच संस्कृत महाविद्यालय से आचार्य बीएचयू से इंग्लिश से आनर्स कंप्यूटर से डीसीए तक पढ़ाई किया. जब ससुराल आई तो इनके दिमाग में बस एक ही चीज थी कि मेरे साथ जो हुआ अब वो किसी भी लड़की के साथ न हो क्योंकि दहेज की मांग सिर्फ कम पढ़े लिखे समाज के लोगो द्वरा किया जाता है. ससुराल में तमाम यातनाएं झेलने के बावजूद इन्होंने अपनी हार नही मानी और 2002 से लगातार आस पास के गाँवो में जाकर गरीब तबके के लोगो को निःशुक्ल शिक्षा देती हैं. तमाम तकलीफो को सहने के बाद भी अपने को खुद मजबूत बनाकर इन्होंने जो मिशाल समाज मे पेश किया. उसको हर कोई काफी सराहता है. गांव के हर परिजन अपनी लड़कियों से शिला देवी की तरह निर्भीक संघर्षशील बनने की मिशाल देते हैं.
आज शिला देवी की दिनचर्या काफी व्यस्त है. सुबह चार बजे उठ कर घर का सारा काम करने के बाद वे घर से निकल कर गांवों में घूम-घूम कर बच्चों को पढ़ाती है. ये काम रात तक चलता है. उसके बाद वो खुद आकर पढ़ती हैं. बिना घर व तमाम तकलीफो को सहने के बाद भी उनका कहना है कि अब मेरे जीवन का एक ही मकसद है कि हर लड़की पढ़ी लिखी हो व खुद आत्म निर्भर बने. उनका कहना है कि दहेज के खिलाफ जीवन के अंत तक इसका विरोध करूंगी व इस सामाजिक अभिशाप से समाज को बचाने का हमेसा प्रयाश करूंगी. वहीं शिला देवी के इस जज्बे और कार्य को देख सीवान के एडीएम मोहम्द इमरान का कहना है कि इसतरह की महिलाओ को सरकार की तरफ से मिलने वाले योजनाओं का सीधा लाभ मिलना चाहिए. ताकि इनको किसी भी तरह की असुविधा न हो. मुखिया श्रीनिवास गुप्ता का कहना है कि मैं खुद जाकर इनसे मिलूंगा और इनके समस्या को सुनकर इसका समाधान करूँगा.
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