सीवान : विधान पार्षद टुन्ना जी पांडेय की बढ़ रही लोकप्रियता, एंटी भाजपाईयों का भी मिल रहा समर्थन
अभिषेक श्रीवास्तव
इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और उसके इरादे मजबूत हो तो किसी भी लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है. इस बात को सच साबित कर दिखाया है सीवान के विधान पार्षद टुन्ना जी पांडेय ने. कभी शराब डिप्पो पर काम करने वाले टुन्ना जी पांडेय ने अपने बुलन्द हौसलों और मजबूत इरादों की बदौलत न सिर्फ नाम, पैसा और ख्याति को प्राप्त किया है बल्कि जीवन मे आये कई बड़ी मुसीबतों का भी डटकर सामना किया है. वही टुन्ना पांडेय अब भी सफलता की नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हैं.
भाजपा समर्थित विधान पार्षद टुन्ना की पॉपुलैरिटी, पार्टी और विचारधारा से बहुत अलग है. वे जिले के उस मुसलमान वर्ग के भी चहेते बनते जा रहे हैं जो भाजपा पर भरोसा नहीं करती है. शायद यही वजह है कि जिले के बड़हरिया के बीडीओ और प्रखंड प्रमुख के बीच मारपीट के मामले में उन्होंने खुलेआम दखल देते हुए सभी असंतोष के बावजूद महिला प्रखंड प्रमुख सुबुकतारा खातून के पति अमीरुल्लाह सैफी सहित सात लोगों के आत्मसमर्पण के समय सदेह मौजूद रहे. यही नहीं जब इसी मामले में बड़हरिया के प्रखंड प्रमुख के समर्थन में जनप्रतिनिधियों ने समाहरणालय के समक्ष धरना दिया था तो टुन्ना जी पांडेय ने धरना में शिरकत करते हुए सीवान के डीएम से मिलकर प्रखंड प्रमुख सुबुकतारा खातून के पक्ष में आवाज उठाते हुए दोषी बीडीओ पर कार्रवाई की मांग का ज्ञापन दिया.
टुन्ना पांडेय के इस उदार व्यवहार से उन्हें मुस्लिम समुदाय के लोगों का खूब समर्थन मिल रहा है. जाहिर है, भाजपा पर जो वर्ग भरोसा नहीं कर पाता है वो टुन्ना जी पांडेय के साथ चलने को तैयार है. ऐसा नहीं है कि मुसलमानों का यह भरोसा उनपर यूं ही बन गया है. इसके लिए उन्होंने भी संघर्ष और त्याग किया है. साफतौर पर टुन्ना जी पांडेय की लोकप्रियता जिले के सांसद ओमप्रकाश यादव समेत बड़े से बड़े-बड़े भाजपा नेताओं जैसी हीं है. यहीं नही, उनकी पॉपुलैरिटी में हर दिन इजाफा ही हो रहा है. खास बात यह है कि गोपालगंज में भी उनके चाहने वाले लोगों की लंबी लिस्ट है.
बता दें कि टुन्ना जी पांडेय पहली बार सारण के डीआईजी आलोक कुमार पर पांच करोड़ घूस के रुपए मांगने का आरोप लगाकर चर्चा में आए थे. तब राज्य सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और डीआईजी को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद टुन्ना जी पांडेय का कद राजनीति में बढ़ता चला गया. इस बीच भाजपा के तत्कालीन विधान पार्षद मनोज सिंह के पद से इस्तीफा देने के बाद साल 2014 में विधान परिषद का उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में टुन्ना जी पांडेय ने दरौंदा विधायक कविता सिंह के पति अजय सिंह को हराकर जीत दर्ज की. दूसरी बार 2015 के चुनाव में उन्होंने फिर भाजपा प्रत्याशी बन महागठबंधन प्रत्याशी विनोद जायसवाल को हरा कर सीवान विधान परिषद की सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. गलत और साज़िश के तौर पर रची गयी एक झूठे मुकदमे में उन्हें जेल में भी रहना पड़ा. लेकिन वे जरा भी विचलित नहीं हुए और आखिरकार सच्चाई की जीत हुई, उन्हें न्याय मिला और वे जेल से बाहर आये. सीवान के दरौली थाना क्षेत्र के नेतवार गांव के एक छोटे परिवार से ताल्लुकात रखने वाले टुन्ना जी पांडेय की सफलता में उनके भाईयों और परिवार का भी अहम योगदान है. शराब के व्यवसाय में नाम कमाने वाले टुन्ना जी पांडेय शराबबंदी के बाद अब स्कूल और अन्य व्यवसायो में भी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. जो कि उनकी आनेवाली राजनीतिक जीवन के लिए एक शुभ संकेत है.
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