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दुमका में पहाड़ो और बंजर जमीन पर फूलों की खेती कर किसान सरकारी कुंवर में रची सफलता की नई कहानी

राजेश पाठक

कहते है कि इंसान के अंदर कुछ करने का जज्बा और सच्ची लगन हो तो कोई भी कार्य आसान हो जाता है. इस बात को सच कर दिखाया है दुमका के सरकारी कुंवर ने, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की ऐसी कहानी लिखी है कि अब बाबाधाम और बासुकीनाथ के मंदिरों बासी फूल नहीं चढ़ते हैं. सरकारी कुंवर ने अपनी मेहनत के बदौलत पहाड़ो में ही फूलो की खेती करते हैं और यही फूल अब मन्दिरों में चढ़ते हैं.

दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड के बेरवना गांव में सरकारी कुंवर द्वारा पहाड़ खोद फूल उगाया जा रहा है.सरकारी कुंवर के घर का जब बटवारा हुआ तो उनको हिस्से में पहाड़ी और बंजर जमीन मिला. लेकिन सरकारी कुंवर ने उस बंजर जमीन को दो वर्ष में उपजाऊ बना दिया और उसपर फूलो खेती करते हैं. उनके द्वारा उगाए गए फूल अब पूरे झारखण्ड भर में मन्दिरों में पूजा के लिए जाते हैं.

अपनी इस सफलता पर सरकारी कुंवर का कहना है कि हम एक फूल व्यपारी है. पहले हम कोलकाता के हावड़ा से फूल लाते थे. रेल में फूल में लागत ज्यादा लग जाता था और तीन दिन बासी फूल बाबा बासुकीनाथ और बाबा बैधनाथ में चढ़ता था, तो हमने सोचा क्यों न फूल उगाकर कर तीन दिन के बदले तीन घंटे में चढ़ाया जाय. उस दिन के बाद से हमने आज तक फूल ऊगा कर बाबा पर चढ़ाते हैं. बंजर और पथरीली जमीन पर फ़ूलोंनकी खेती कर सफलता की कहानी गढ़ने वाले सरकारी कुंवर ने आज अपने साथ कितने लोगों को रोजी रोजगार भी दिया है. वहीं वे दूसरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं.

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