चाईबासा : चार बच्चों को अनाथ छोड़ विधवा मां की मौत, जन-सहयोग से हुआ अंतिम संस्कार
संतोष वर्मा
चाईबासा में चार नाबालिग बच्चों के सर से एक साल में ही माता-पिता का साया सर से उठ गया. यह दुःखद घटना जगन्नाथपुर प्रखंड अंतर्गत तोडांगहातु पंचायत के गोप टोला की है. जहां के आंगनबाड़ी के पास रहने वाले डुमरा दिग्गी की विगत सात जून 2018 को कुत्ता काटने से मौत हो गई थी. वहीं मां नीलमणी दिग्गी का बुधवार की रात निधन हो गया है. मौत उसके टुटे फुटे खपरैल घर में हो गई.
बता दें कि टीबी मरीज नीलमणी दिग्गी चार साल से पीङित थी. हाल के दिनों में नीलमणी की तबियत ज्यादा खराब हो गई थी. जिसे गांव की डीलर एवं समाज सेवी सुमन लागुरी के सहयोग से जगन्नाथपुर अस्पताल लाया गया था. उसके बाद उसको सुमन के माध्यम से व सहयोग से ही 15 अक्टूबर को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। लेकिन एक सप्ताह तक रखा गया था. बेहतर इलाज के लिए सलाह देकर छुट्टी दे दी गई थी.क्योंकि चाईबासा सदर अस्पताल में देखरेख करने वाला उनके साथ कोई नही था. वहीं गांव के ही सुमन लागुरी ने कहा कि हम ही उन्हें सदर अस्पताल जाकर एडमिट कराए थे. खून की जरूरत थी तो खून भी वहां दिलाया गया था.
वहीं माता पिता का साया उठने के बाद सभी नाबालिक बच्चों को संभालने के लिए परिवार का कोई भी सदस्य नहीं है. तीन बेटे और एक बेटी है. सबसे बड़ा बेटा गंगाराम दिग्गी 12 साल, दुर्गा चरण दिग्गी 8 साल, बेटी सुमन देगी 5 साल तथा संगम दिग्गी 3 साल की है. जिसमें से एक बेटा और एक बेटी अभी वर्तमान समय में उड़ीसा में उसकी बुआ के पास रहते है. अपनी बीमार माँ के चलते दो बच्चों ने अपनी पढ़ाई को छोड़ दी एक ने माँ की सेवा करने और दुसरे ने घर संभालने का जिम्मा उठा लिया. बड़ा बेटा गंगाराम कक्षा पांच में पढ़ाई छोङ दिया. उसने अपनी पढ़ाई छोड़ बकरी चराने का जिम्मा उठा लिया. ताकि घर परिवार चला सके. वहीं उसका दूसरा पुत्र जो कक्षा चार में पढ़ाई कर रहा था दुर्गा चरण वह अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपनी माँ को देखभाल के लिए घर में रहने लगा. क्योंकि दो छोटे बच्चों बुआ के घर भेज दिया गया.
डीलर सुमन लागुरी ने कहा कि सभी चारों नाबालिग हैं. इन्हें सरकारी लाभ मिलने से ही इस बच्चों का विकास संभव है. माता पिता के निधन के बाद बच्चों का बच्चे अनाथ हो गए है. जगन्नाथपुर थाना प्रभारी मधुसुदन मोदक ने कहा कि इंसान का सबसे बड़ा धन मानवता है. और अपनी मानवता को नहीं खोना चाहिए. हमेशा गरीबों की मदद के लिए हाथ उठना चाहिए. हमसे जो भी बन पडेगा उस परिवार के लिए मैं मदद करने को तैयार हूँ. मैंने उस परिवार के घर गया, देखा काफी दुःख हुई.
यह देखकर चार नाबालिग के सर पर माता पिता का साया उठ चुका है. वहां की एक साहसी महिला सुमन लागुरी व समाजसेवी रंजन गोप के सहयोग से ग्रामीणों को एकजुट कर चंदा उठाकर उसका दाह संस्कार कराया गया.
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