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पाकुड़ में गरीबों के पेट की आग बुझाने में मील का पत्थर साबित हो रहा ‘एक पहल-रोटी बैंक’

मकसूद आलम

मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल काम आपका रास्ता नही रोक सकती. इस बात को सच साबित कर दिखाया पाकुड़ के शिक्षित बेरोजगार युवा नीरज मिश्रा ने. एक जनवरी 2018 को जब नीरज ने सोंचा की सभी लोग नववर्ष के अवसर पर अपने परिजन के साथ पिकनिक करते हैं. क्यों नही गरीबों और दबे कुचले लोगों के साथ पिकनिक मनाया जाए. इसी उद्देश्य के साथ एक पहल-रोटी बैंक की स्थापना की गई.

नीरज मिश्रा ने अपने विचार गुंजन साह, प्रवीण कुमार सिंह, मीरा पांडेय, कृपा सिंधु बच्चन के साथ साझा किया और इन सबों ने हर सम्भव साथ देने का वचन दिया. नीरज एवं गुंजन के अथक परिश्रम में मार्गदर्शकों के सहयोग से पाकुड़ के हाटपाड़ा चौक पर लगभग 1500 सौ जरूरतमन्दों और गरीबों को भोजन करवाकर कर और उनके साथ भोजन करके नववर्ष की खुशियां मनाई. सबों ने मिलकर एक योजना बनाई क्यों न हरेक घर से आंशिक रूप से भोजन संग्रह कर इसे जरूरतमन्दों के बीच वितरित की जाय. शहर के गणमान्य लोगों को उन्होंने एक जगह एकत्रित कर अपने विचार को बताया. सबों ने भरपूर सहयोग एवं साथ देने की बात कही 04 मार्च 2018 को रोटी बैंक शुरू की गई. पहले दिन जागरूकता हेतु बाइक रैली शहर में निकाली गई, बैनर पोस्टर आदि लगाए गए.

पहले दिन शहर के समाज सेवी प्रवीण सिंह के तरफ से भोजन दी गई. सप्ताह में दो दिन कार्यक्रम करने का विचार हुआ एवं हर एक मुहल्ले से टीम बन जाने के बाद इसे प्रतिदिन करने का प्रस्ताव तय हुआ. इसी क्रम में शहर के विभिन्न मुहल्लों से टीम के सदस्य रोटी संग्रह करने लगे एवं जरूरतमन्दों के बीच वितरित करने लगे. हालांकि कुछ दिनों तक तो समाज को कुछ समझ ही नही आया पर जैसे जैसे कार्यक्रम चलता रहा लोगों का उत्साह भी बढ़ता गया. अब मोहल्लेवासी इंतजार में रहते हैं कि कब एक पहल की टीम मेरे घर से रोटी ले जाय. रोटी बैंक को लेकर पाकुड़ शहर में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. माताएं बहने प्रतिदिन अपने घर से रोटी लेने का आग्रह करती है. इतना ही नही वैसे व्यक्ति जो सक्षम हैं वे एक दिन का पूरा खाने का इंतजाम अपने तरफ से करने लगे. एक पहल टीम ने शुरुआती दिनों से ही एक कड़ा निर्णय लिया कि किसी भी सूरत में किसी भी व्यक्ति से डायरेक्ट धन नही लिया जाएगा. अगर किन्ही की इच्छा हो तो वे एक दिन का भोजन बनवाकर टीम को दे दे टीम उसे जरूरतमंदों के बीच वितरित कर देगी. पिछले तीन महीने से चलने के बाद स्थिति ये है कि सौ से ज्यादा दानवीर ने अपने तरफ से एक दिन का भोजन देने के लिए तैयार हैं.

इन सकारात्मक समर्थन को देखकर “एक पहल” की टीम ने जरूरतमन्दों के बीच और भी अन्य सेवा कार्य शुरू किया गया है. गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था टीम के मार्गदर्शक प्रवीण सिंह की प्रेरणा से गुंजन साह, मो अकरम, अतुल ठाकुर आदि ने मिलकर शुरू किया. एक पहल की टीम ने पाकुड़ में दर्जनों को रक्तदान कर जान बचाया गया.

रांची-कामाख्या ट्रेन किसी वजह से पाकुड़ में चार घंटे के लिए खड़ी की गई स्टेशन के ही हेड टिकेट कलेक्टर अखिलेश चौबे के आग्रह पर हंगर हीरो ने इतने कम समय मे पूरे ट्रेन के लिए सिर्फ भोजन की व्यवस्था ही नही की बल्कि बच्चों के लिए दूध एवं मरीजो के लिए दवाई आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की. आज टीम का एक मात्र उद्देश्य है कि जरूरतमन्दों को जिस तरह की भी सेवा की जरूरत होगी टीम उन्हें सहयोग करेगी. इसी क्रम में दिनांक 31 मई 2018 को डॉ पार्थ कु पॉल के सहयोग से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर निःशुल्क जांच शिविर एवं परामर्श शिविर का आयोजन कर रही है. जिसमें दवाई भी मुफ्त दी जाएगी. इसमें अस्पताल प्रशासन को मदद करने का निवेदन किया. भविष्य में बहुत जल्द इसे एक स्थायी केंद्र खोलकर रोटी बैंक को प्रतिदिन करने पर भी विचार किया जा रहा है.

टीम के नीरज मिश्रा ने बताया कि हम अगर गरीबों और जरूरतमन्दों के लिए इतना कुछ कर पा रहे है तो ये पकुड़वासियो के जिंदादिली की वजह से हो पा रहा है. आज हमे समाज के कुछ व्यक्तियों जिनमें प्रवीण सिंह, मीरा पांडेय, कृपा सिंधु बच्चन, अखिलेश चौबे, बबलू सिंह, राजू पांडेय, रामप्रसाद सिन्हा, आलोक जॉय पॉल, सुनील सिंह, मिथिलेश ठाकुर आदि का साथ न मिला होता तो शायद हम यहां तक न पहुंच पाते. “एक पहल” रोटी बैंक के लिए कुछ युवाओं ने रात-दिन गरीबों के लिए खड़े रहे. जिसमे मो अकरम, अतुल, अमन, गणेश, दीपक, आदि का सहयोग मिला।खासकर कालिकापुर के डायमंड क्लब के सभी साथियों को जिन्होंने हर कदम पर साथ दिया.

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