चाईबासा : डायरिया से निपटने के लिए जिला स्वास्थय विभाग ने बनाई योजना
संतोष वर्मा
चाईबासा में प्रति वर्ष जून माह में दक्षिण-पश्चिम मानसून आते ही राज्य में डायरिया का प्रकोप बढ़ जाता है. इस प्रकोप को कम करने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट के तर्ज पर प्रयास किए जाते हैं ताकि डायरिया से होने वाले मृत्यु को कम करते हुए शून्य स्तर पर लाया जा सके.
जिला स्वास्थ्य विभाग के द्वारा डायरिया की रोकथाम के लिये कुछ कदम उठाए हैं. जिसके तहत सभी स्तर पर दवा, ओआरएस, डिस्पर्सिबल जिंक टेबलेट, सलाइन ब्लीचिंग पाउडर की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी है. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डायरिया रोकथाम हेतु नोडल पदाधिकारी होंगे. सभी जिले में 24 × 7 कंट्रोल रूम की व्यवस्था मई से अक्टूबर तक की जानी है कंट्रोल रूम का टेलीफोन एवं फैक्स चालू हालत में होना चाहिए. सभी जलस्रोतों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव ससमय हो. अस्पतालों में ओआरटी कॉर्नर की स्थापना की जानी है ताकि डायरिया के मरीज का इलाज किया जा सके.डायरिया हेतु प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आपात टीम का गठन किया जाना सुनिश्चित किया जाए. स्वच्छ पेयजल, खाने से पहले हाथ धोने जैसे स्वास्थ्य प्रक्रियाओं का प्रचार-प्रसार किया जाना. शहरी क्षेत्रों हेतु विशेष कार्य-योजना बनाई जाए.
वहीं डायरिया की रोकथाम का सभी स्तर पर अनुश्रवण एवं मूल्यांकन किया जाना है तथा प्रतिवेदन प्रतिदिन राज्य को भेजा जाए. इस संदर्भ में नीता कुजुर स्टेट डेमोग्राफर, सुबोध कुमार स्टेट डाटा मैनेजर को संपर्क करना है. डायरिया की रोकथाम हेतु अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित किया जाए ताकि इसे प्रभावशाली रूप से रोका जा सके. विद्यालय में हैंड वाशिंग का प्रशिक्षण दिया जाए. एएनएम एवं आंगनवाड़ी सेविका यह सुनिश्चित करेंगे कि डायरिया ग्रसित गांव में कार्यक्रम अनुसार ब्लीचिंग पाउडर डाला जा रहा है या नहीं. प्रारंभिक रूप से प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ओआरएस के 1000 पैकेट उपलब्ध होंगे. 500 पैकेट होने पर ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जिले से पुनः आपूर्ति प्राप्त कर लेंगे.
बता दें कि डायरिया प्रमुख रूप से प्रदूषित जल जनित रोग है, जिसमें अत्यधिक दस्त एवं उल्टी के कारण शरीर में लवण एवं जल की कमी हो जाती है. तत्पश्चात रोगी की मृत्यु भी हो सकती है. यद्यपि किसी भी आयु के व्यक्ति के लिये डायरिया जानलेवा हो सकता है परंतु 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया मृत्यु का प्रमुख कारण है. झारखंड राज मूलतः ग्रामीण राज्य है जहां लगभग 80% लोग गांव में निवास करते हैं. प्रदूषित जल एवं भोजन के सेवन से राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में डायरिया संक्रमण एवं इससे होने वाली मृत्यु एक चिंता का विषय बन चुका है.
डायरिया आपात टीम का गठन :
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/ अनुमंडल अस्पताल/ रेफरल अस्पताल/ जिला अस्पताल में किसी भी आपात स्थिति से निपटने हेतु आपात टीम का गठन होगा। प्रत्येक टीम में एक चिकित्सा पदाधिकारी, दो स्वास्थ्य कर्मी, एक चालक की प्रतिनियुक्ति होगी. टीम 8 घंटे के हिसाब से कार्यरत रहेगी. एक एंबुलेंस वाहन दवाइयों एवं अन्य वांछित सामग्री के साथ उपलब्ध रहेगा. किसी भी क्षेत्र में डायरिया की सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मरीज का इलाज प्रारंभ किया जाएगा. डायरिया से बचने के लिए किया जाएगा प्रचार-प्रसार लोगों को जागरूक करने तथा डायरिया से बचने के उपाय के बारे में प्रत्येक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाएगा जिनमें प्रमुख रूप से हाट बाजार में प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की होगी. केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी किसी अन्य चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड प्रसार प्रशिक्षकों की देखरेख में प्रत्येक हाट बाजार में डायरिया से संबंधित संदेश लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करेंगे. राज्य स्तर पर डायरिया से कैसे बचे, डायरिया हो जाने पर क्या करें, प्रयोग की विधि संबंधित संदेश पंपलेट तथा पोस्टर के रूप में तैयार करा कर प्रत्येक स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा. विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी उक्त सामग्री से उपयुक्त स्थान पर लगवाने तथा वितरण करवाने का उत्तरदाई होंगे.
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