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छपरा : कालाजार रोगी खोज अभियान की शुरुआत, 02 सितंबर तक हर दरवाजे पर दस्तक देंगी आशा

छपरा जिले में आज से कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान शुरुआत की गई. इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज करेंगी.

बतातदें कि इसको लेकर वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ एमपी शर्मा ने जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया था. जिसमे जिले में 25 अगस्त से 2 सितंबर तक यह अभियान चलाये जाने की बात कही गयी है. क्षेत्र में अभियान की सफलता को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा. कालाजार रोगियों की खोज के लिए 1499 आशा और 236 आशा फैसिलेटर को जिम्मेवारी दी गई है. इसको लेकर आशा कार्यकर्ताओं को प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण भी दिया गया है.

20 प्रखंडो में चलेगा अभियान :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया जिले के 20 प्रखंडों के 747 गांव में यह अभियान चलाया जाएगा. उन्होंने बताया आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार के मरीजों की खोज करेंगी. जिले में 2206282 जनसंख्या तथा 400616 घरों को लक्षित किया गया है.

हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध :

डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है. कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है. हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं.

रोगी को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में मिलते हैं पैसे :

डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं. बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं. यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है. वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है.

कालाजार के कारण :

कालाजार मादा फ्लेबोटोमिन सैंडफ्लाईस के काटने के कारण होता है, जोकि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है. किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा. इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है.

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क :

कालाजार के लक्षणों में आम तौर पर दो हफ्ते तक बार-बार बुखार, वजन घटना, थकान, एनीमिया और लिवर व प्लीहा की सूजन शामिल हैं. समय रहते अगर उपचार किया जाए, तो रोगी ठीक हो सकता है. कालाजार के इलाज के लिए दवा आसानी से उपलब्ध होती हैं. कालाजार के बाद पोस्ट कालाजार डरमल लेशमानियासिस (पीकेडीएल; कालाजार के बाद होने वाला त्वचा संक्रमण) होने की भी संभावना होती है. इसलिए इस से भी सतर्क रहने की जरूरत है.

साफ-सफाई का रखें पूरा ख्याल :

अपने घर, गौशाला की साफ-सफाई रखें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें. घर की दीवारों की दरारों को भर दें. दवा छिड़काव के बाद कम से कम तीन माह तक मकान की रंगाई-पुताई न करवाएं. दवा छिड़काव के दौरान घर के सामान को अच्छी तरह से ढक दें. रात में मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें. (सेंट्रल डेस्क).

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