प्रसिद्ध फिल्मकार इक़बाल दुर्रानी पहुंचे चाईबासा, लोगों ने किया जोरदार स्वागत
चाईबासा में शुक्रवार को अजय देवगन अभिनीत सुपरहिट फिल्म फूल और कांटे तथा अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर अभिनीत चर्चित फिल्म कोहराम के लेखक इकबाल दुर्रानी पहुंचे. जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ.
बता दें कि इकबाल दुर्रानी ने सामवेद का उर्दू अनुवाद किया है. प्रसिद्ध फिल्म लेखक, प्रोड्यूसर और निदेशक इकबाल दुर्रानी ने चाईबासा के टाटा कॉलेज से विज्ञान में स्नातक तक की पढ़ाई की है. इकबाल ने बताया कि उन्होंने फिल्मी दुनिया से ढाई साल तक अलग रहकर सामवेद का उर्दू और हिन्दी अनुवाद किया है. छ: माह में यह पुस्तक प्रकाशित हो जाएगी.
इकबाल दुर्रानी के पिता शुजायत अली 1960 के दशक में पश्चिम सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर स्थित रस्सेल हाई स्कूल में प्राचार्य थे. उनके दादा शेख महमूद बिहार के मोकामा के एक मध्य विद्यालय में संस्कृत के शिक्षक थे. लोग उन्हे पंडित जी के नाम से जानते थे. इकबाल का जन्म बिहार के बांका जिले में 26 फरवरी 1956 को हुआ. मंदार पर्वत की तराई में बसा बलुआ तरी उनका गांव है. पिता शुजायत अली सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. उनका स्थानांतरण जगन्नाथपुर हो जाने के कारण वे लोग यहां आ गए और चाईबासा के टाटा कॉलेज में इकबाल ने पढ़ाई की.
इकबाल ने बताया कि कॉलेज के दिनों में मैं छुप-छुप कर कहानियां पढ़ता और लिखता था. चाईबासा से प्रकाशित साप्ताहिक सिंहभूम एकता और जमशेदपुर से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक अहसास में बतौर संपादक काम भी किया. कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने मुंबई का रूख किया. काफी मशक्कत के बाद फिल्म कालचक्र से बॉलीवुड में पुख्ता पहचान बनी. अजय देवगन, अक्षय कुमार, नागार्जुन, रानी मुखर्जी सहित कई कलाकारों ने इकबाल की लिखी फिल्मों से डेब्यू किया.
इकबाल ने बताया कि चार वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के एटा के गुरु आश्रम में वे महाराज जी से अध्यात्म पर चर्चा कर रहे थे. महाराज जी ने उन्हें ऋगवेद, अर्थववेद और सामवेद की प्रतियां भेंट की. उन्होंने इन तीनों पवित्र ग्रंथों का अध्ययन-मनन किया. इसके मंत्रों में संगीत है. संस्कृत की डिक्शनरियां खरीदी. भवार्थ का अध्ययन किया. कई विद्वानों से बातचीत की, तब जाकर लिखना शुरू किया. इकबाल का कहना है कि संस्कृत उनके लिए अपरिचित नहीं है. उनके दादा शेख महमूद मोकामा में संस्कृत के शिक्षक थे. गांव वाले उन्हें पंडित जी कहा करते थे. उनका जन्म मंदार पर्वत की तराई में हुआ, जिसका जिक्र समुद्र मंथन के प्रसंग में है. (संतोष वर्मा की रिपोर्ट).
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