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ग्लोबल पूर्वांचल फोरम के तत्वावधान में दुबई में दिखेगा दशहरा महोत्सव

जैसा कि हम सभी जानते है कि पश्चिमी बिहार और पूर्वी यूपी के काफी ज्यादा लोग अपने देश से बाहर रहकर अपनी रोजी रोटी चलाते है. इनमें से अधिकांश खाड़ी देशों में हैं, जिनमे से अधिकांश मजदूर वर्ग से आते हैं जो अपने देश से आते हैं. कुछ दिनों तक मजदूरी करते हैं और पुनः अपने देश चले जाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे है जो अपने मेहनत, जुझारूपन और व्यक्तित्व के दम पर जहां भी हैं, वहीं अपना ठिकाना बना लिए हैं. जिनका वतन वापसी लंबे समय के अंतराल पर होता है क्योंकि वो अपनी जिम्मेदारियों और व्यवसायिक मजबूरियों में फंसे होते है. इनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जो आज भी अपनी परंपरा अपनी संस्कृति को अपने देश से हजारों कोस दूर जिंदा रखे हुए हैं और चाहते है कि उनके बच्चे जो अपनी मिट्टी अपने देश से कोसों दूर हैं, कभी इंडिया नही गए या गए भी साल दो साल में हप्ते दो हप्ते के लिए तो उन्हें कुछ विशेष जानकारी नही हो सकी, अपनी सभ्यता संस्कृति की उन्हें यहां रहकर भी अपनी सभ्यता, संस्कृति, रीति-रिवाजों व त्योहारों से अवगत कराया जा सके.

ऐसे ही उद्देश्यों की पूर्ति हेतु दुबई, आबूधाबी में रहने वाले अप्रवासी लोगों की आपसी एकजुटता से दुबई में एक संस्था की परिकल्पना अप्रवासी अजय कुमार शाही, लोकेश मिश्रा, बिमल कुमार सिन्हा व अन्य साथियों ने मिलजुल कर कई वर्ष पूर्व की थीं, जिसे भोजपुरिया परिवार के नाम से जाना जाता था. परन्तु संस्था भोजपुरी भाषी लोगों के पूरी दुनिया में बढ़ते वर्चस्व क़ो देखते हुए और अपने उद्देश्य क़ो खाड़ी क्षेत्र के अतिरिक्त अमेरिका, कनाडा, तुर्की, जर्मनी, फ़्रांस, स्विड़न, स्पेन जैसे देशों तक बढ़ाना चाहती है और इसी कड़ी में सभी लोगों ने एक मत से सस्था का नाम परिवर्तित किया जिसे अब ग्लोबल पूर्वांचल फोरम नाम दिया गया है.

इस संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अजय कुमार शाही ने बताया कि इस संस्था का मुख्य उद्देश्य पूर्वांचल के (लगभग समस्त उतर-पूर्व भारत) के सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पर्व -त्योहारों,रीति-रिवाजों व संस्कारो से अपने आने वाली पीढ़ी को अवगत कराना है. इसके लिए समय-समय पर कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना जिससे कि सभी लोग एक सूत्र में पिरो सके. इसी कड़ी में इस वर्ष संस्था के द्वारा नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से दुबई में मनाया जायेगा. संस्था का दूसरा उद्देश्य अपने घर से बाहर दूर परदेश में यदि किसी भाई को कोई परेशानी, मुसीबत आ जाती है तो संस्था के सदस्य उस व्यक्ति की यथासम्भव मदद करते हैं. जिससे कि उसे परेशानी से छुटकारा मिल जाए. इस संस्था से जुड़े लोकेश मिश्रा/शहजाद सिद्धिकी जो एक व्यवसायी के साथ एक वरीय समाजसेवी भी हैं, वर्षों से विदेश में रहकर काम करने वाले वैसे लोगों, जिनकी असमय, किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, के शव उनके परिजनों तक ससम्मान पहुंचाने का कार्य करते हैं. यह संस्था अब अपने स्वदेसी वजूद को बचाने की दिशा में भी अपने वतन में कुछ राजनीतिक गतिविधियों को भी अंजाम देने की दिशा में प्रयासरत है. जिससे कि अप्रवासी लोगों को अलग नही समझा जाए और उन्हें भी अपने वतन अपने प्रदेश में वह सम्मान मिले, जिसके वह हकदार है. संस्था बिहार सरकार व भारत सरकार के साथ-साथ उन सभी बिहारी नेताओं व अधिकारियों से आग्रह करती है कि यथाशीघ्र बिहार को एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए, जिससे कि हम और हमारे बच्चे आसानी से अपने यहां होने वाले पर्व त्योहारों, पारिवारिक आयोजनों में शामिल हो सके. अगर एयरपोर्ट निर्माण की दिशा में शीघ्र कोई पहल नही किया जाता तो इसके लिए अप्रवासी अपने स्तर से आगामी चुनाव में बड़े बड़े वादे करने वाले नेताओ को सबक सिखाने की तैयारी में लग चुके हैं. (दुबई से समरेंद्र ओझा की रिपोर्ट).

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