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26-11 की घटना को याद कर गोपालगंज के मेराज की आँखे आज भी हो जाती हैं खौफजदा

अतुल सागर

26-11-2008  को मुंबई में आतंकियो ने एक साथ ताज होटल सहित कई जगहों को निशाना बनाया. इस आतंकी घटना में 52 लोगो की मौत हुई थी. जबकि 100 से जयादा लोग घायल हुए थे. इस घटना के आज नौ साल हो चुके है. घटना में गोपालगंज का 23 वर्षीय मेराज आलम भी जख्मी हुआ था. लेकिन वक़्त के इतने लम्बे अन्तराल के बाद भी आतंकी हमले में घायल मेराज की आँखों में खौफ का वह मंजर आज भी याद है.

हथुआ के खानसामा टोला का मेराज 26 नवम्बर 2008 की रात को मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर मौजूद था. वह अपने दोस्तों के साथ गोपालगंज आने के लिए अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहा था. तब 23 साल के मेराज ने देखा की हर तरफ भगदड़ मची हुई है. मेराज के मुताबिक जबतक वह कुछ समझ पाता तबतक उसे भी एक गोली सीने में लगी. उसके शरीर से खून बहने लगा था. मेराज के मुताबिक हर तरफ गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी. उस आतंकी हमले के बाद उसे एम्बुलेंस से मुंबई के किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया. मेराज को 26 दिनों तक अस्पताल में भर्ती किया गया. उसके सीने में फंसी गोली को डाक्टरों की टीम के द्वारा बाहर मिकाला गया. लेकिन गोली के जख्म की वजह से मेराज की अब जिन्दगी ही बदल गयी है. वह विदेश में जाकर नौकरी करना चाहता है. उसने कई जगह नौकरी के लिए आवेदन दिया. लेकिन एक्सरे रिपोर्ट में सीने में दाग होने की वजह से वह नौकरी के लिए मेडिकल अनफिट घोषित कर दिया जाता है.

वहीं मेराज के भाई सेराज आलम के मुताबिक वह चार भाई है. घटना के वक़्त मेराज की उम्र महज 23 साल थी. उस घटना के बाद मेराज की उम्र 32 साल हो चुकी है. घटना के बाद से दो साल तक मेराज सदमे में रहा. वह पूरी तरह से डरा सहमा रहता था. आज मेराज नौकरी के लिए जहा भी जाते है. उन्हें मेडिकली अनफिट घोषित कर दिया जाता है. पीड़ित परिजनों ने बिहार सरकार से मांग की है की घटना के बाद से उनके परिवार के आर्थिक हालात ठीक नहीं रहे. इसलिए सरकार कोई भी नौकरी उनके भाई को दे दे. ताकि वह अपने परिवार का खर्च चला सके.

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