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रामगढ़ : मॉब लिंचिंग के मामले में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा

खालिद अनवर

झारखण्ड के रामगढ़ की एक अदालत ने बुधवार को देश में पहली बार मॉब लिंचिंग के मामले में 12 में से 11 अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई. सजा सुनाये जाने के दौरान पुर कोर्ट कैम्पस में पुलिस बलों की तैनाती दिखी.

गौरतलब है कि पिछले दिनों हुए रामगढ़ जिले में गौ मांस को लेकर भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या कर दी गयी थी. जिसकी सुनवाई रामगढ़ फा‌र्स्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से हुई. बुधवार को न्यायालय में अलीमुद्दीन हत्याकांड से जुड़ी सुनवाई पूरी हो गई. फास्ट ट्रैक न्यायालय के न्यायाधीश द्वितीय ओमप्रकाश ने इस केस में फैसला सुनाया और सभी 12 मे से 11 अभियुक्तो को 302 धारा के तहत दोषी करार दिया और 11 अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं केस की सुनवाई के दौरान परिजन व कई राजनितिक पार्टियों, बजरंग दल के साथ पीड़ित परिवार के लोग भी बड़ी संख्या में कोर्ट में मौजूद रहें.

घटना  29 जून 2017 की है जब रामगढ़ थाना क्षेत्र के स्थानीय बाजार टांड़ के समीप भीड़ ने अलीमुद्दीन नामक व्यक्ति को गोमांस तस्कर के आरोप में पकड़कर जमकर पीटा. पिटाई इतनी बेरहमी पूर्वक हुई थी कि अस्पताल जाने के क्रम में ही उसकी मौत हो गई. वहीं आक्रोशित लोगों के द्वारा मारुती वैन में आग लगा दिया गया था. इस घटना में गोरक्षा समिति के छोटू वर्मा, दीपक मिश्रा, छोटू राणा, संतोष सिंह , भाजपा जिला मीडिया प्रभारी नित्यानंद महतो, विक्की साव, सिकंदर राम, रोहित ठाकुर, विक्रम प्रसाद, राजू कुमार, कपिल ठाकुर व छोटू राणा पर रामगढ़ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जिसके बाद से मामला न्यायालय में चल रहा था. फास्ट ट्रैक कोर्ट ऐडीजे टू न्यायाधीश ओम प्रकाश के यहां सुनवाई चल रही थी. सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक रामगढ़ एसके शुक्ला ने केस की कार्रवाई पूरी कराई.  राज्य सरकार ने मामले में एक वर्ष में सुनवाई पूरी करने को लेकर फास्ट ट्रैक का गठन किया था. जिसके बाद से फास्ट ट्रैक न्यायालय में त्वरित गति से सुनवाई पूरी की गई.

नतीजन, लगभग आठ महीने में ही केस से जुड़ी सुनवाई पूरी कर ली. इस संबंध में लोक अभियोजक एस के शुक्ला ने बताया कि मृतक अलीमुद्दीन की पत्नी ने रामगढ़ थाना कांड संख्या 198 /17 दिनांक 29 /6 /17 को मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद सरकार की ओर से 19 गवाहों व 20 प्रदर्श को न्यायालय में प्रस्तुत किया था. वही आरोपियों की ओर से एक गवाही हुई थी. जिसके बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट एडीजे टू न्यायाधीश ओम प्रकाश ने सभी 11 आरोपियों को धारा 147/148/149/427/435/302 आईपीसी के तहत दोषी करार दिया. जिसमे सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 12 अभियुक्तों में से 11 को आजीवन कारावास आईपीसी धारा 147 के तहत एक वर्ष 148 के तहत दो, 427 के तहत एक वर्ष, 435 के तहत तीन वर्ष, 302 में आजीवन कारावास और 120बी के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से 19 गवाह, 59 दस्तावेज और 20 प्रदर्शन पेश किये गए थे. वीडियो की जांच चंडीगढ़ से एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर की गई थी. साथ ही साथ पीड़ित परिवार डीएसएल के तहत कम्पसेसन देने का भी प्रावधान किया गया है.

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