रामगढ़ : जिले में तेजी से बढ़ रहा अवैध ईंट-भट्टा चिमनी का कारोबार, जल, जंगल व जमीन का अस्तित्व खतरे में
खालिद अनवर
झारखण्ड के रामगढ़ जिले में ईंट भट्ठे का अवैैध धंधा तेजी से चल रहा है. खनिज व राजस्व विभाग से बिना अनुमति लिए नियम-कानून को ताक में रखकर सरकारी व निजी जमीन में अवैध तरीके से बेरोकटोक ईंट बनाने का धंधा चल रहा है. इस कारोबार से शासन को लाखों रुपए के रायल्टी का चूना लग रहा है. वहीं अवैध रूप से इस ईंट व्यवसाय के पनपने से जंगल, जमीन और जल का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.
गौरतलब है कि खनिज व राजस्व से बिना एनओसी लिए ही सरकारी व निजी जमीन में इन दिनों ईंट भट्ठे का कारोबार चल रहा है. नदी किनारे, खेत व तालाब से लगे जमीन के आसपास दूर-दूर तक ईंट बनाने का काम चल रहा है. इससे लाखों रुपए की रायल्टी चोरी हो रही है. वहीं सरकार को भी राजस्व का चुना भट्टेदारों के द्वारा लगाया जा रहा है. लाखों कमाने के लालच में ये राजस्व व खजिन विभाग को चूना लगा रहे है. ईंट भट्ठों की आड़ में ठेकेदार धीरे-धीरे जंगली क्षेत्रों में भी घूम रहे हैं और वन क्षेत्रों में स्थापित ईंट भट्ठों में जंगल से अवैध रूप से काटी गई लकड़ियों का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है. ऐसे जगहों में ईंट भट्ठों की स्थापना की अनुमति कैसे दी गई यह भी जांच का विषय है. दुलमी, कुंदरू, बरकाकाना, गोला, मांडू व कैथा, क्षेत्र में अधिकांश लोग नदी किनारे मोटर पंप लगाए हुए हैं. इन क्षेत्रों के नदी किनारे बड़े-बड़े ईंट भट्ठे लंबे समय से चल रहे हैं तथा ईंट भट्ठों के लिए नदी किनारे की मिट्टी खोद डाली गई है. नदी किनारे की चिकनी मिट्टी तथा पानी का उपयोग ईंट के लिए सर्वाधिक उपयोग किए जाने के कारण नदी की दिशाएं बदल रही है. बताया जाता है कि ईंट भट्ठों के कारण अवैध कटाई होने की बात से विभाग के आला अफसरों से लेकर जमीनी कर्मचारी तक वाकिफ हैं.
जिले में अवैध ईंट भट्ठों का तो भरमार हो गया है जहां हरे-भरे वृक्षों को ईंट भट्ठों में ले जाया जा रहा है. वहीं नदी नाले के निस्तार के पानी को भी ईंट ठेकेदार भट्ठे में ईंट बनाने के लिए उपयोग कर रहे हैं. लगातार अवैध कटाई का मामला सुर्खियों में आने के बावजूद जिला प्रशासन कुंभकर्णीय नींद में सोए हुए हैं. ईंट भट्ठों के इस अवैध कारोबार से जुड़े सख्श जंगल का बेतहाशा उपयोग कर चांदी काट रहे हैं. अंधाधुंध कटाई के चलते जंगल मैदान में परिवर्तित होते जा रहा है. तो दूसरी और साईकिल व ट्रैक्टर के माध्यम से अवैध रूप से कोयला भी रोजाना सैकड़ों टन बंगला व चिमनी ईट्टभट्ठों में खपाया जा रहा हैं.
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