गुमला : सामूहिक दुष्कर्म के मामले में एक को आजीवन कारावास की सजा, छः के विरुद्ध कोर्ट में ट्रॉयल
मकसूद आलम
झारखंड के पाकुड़ में शनिवार को सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में एक आरोपी मांझी मरांडी को पाकुड़ व्यवहार न्यायालय के एडीजे वन रमेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना की राशि जमा नही करने पर दो माह का अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. वहीं मामले में नवेल हेम्ब्रम नामक एक अन्य आरोपी का जुबेनाइल कोर्ट में मामला विचारधीन है. जबकि इसी मामले के पांच अन्य आरोपी पर ट्रायल चल रहा है.
उल्लेखनीय है कि एक पहाड़िया 16 वर्षीय युवती ने 22 अगस्त 2012 को हिरणपुर थाना में सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था. जिसमें कहा गया था कि पीड़िता अपने एक सहेली के साथ साहेबगांज जिला के बोरियो प्रखण्ड स्थित आदिम जनजाति आवासीय बालिका उच्च विद्यालय बंदर टोला से हिरणपुर स्थित गांव जा रही थी. सबसे पहले वनांचल एक्सप्रेस ट्रेन से दोनों पीड़ित पाकुड़ स्टेशन संध्या सात बजे उतरी जहां दोनों के भाई इनका इंतजार कर रहे थे, सभी लोग टेम्पू से तोड़ाई पहुंचे जहां से पैदल ही वे चारों अपने गांव जा रहे थे. पतरापाड़ा के पास आसंजोला जाने वाली सड़क पर सात व्यक्ति शराब पी रहे थे. वहां से जैसे ही ये चारों आगे बढ़े सभी शराबियों ने इन चारों का पीछा किया और कुछ दूर जाने के बाद सातों बदमाशो ने पीड़िता एवं उसके सहेली के भाइयों को बुरी तरह पीटकर भगा दिया और धनगढ़ा पहाड़ पर ले जाकर क्रमशः दोनों के साथ चार और तीन व्यक्तियों ने बारी बारी से दुष्कर्म किया और फिर भाग गये. इसके बाद वे लोग किसी तरह पतरापाड़ा पहुंची और फिर अपने घर वालों को फोन कर वहां बुलाया. इसके बाद हिरणपुर थाने में मामला दर्ज कराई गई. एफआईआर के अनुसार सभी युवक 20 से 30 वर्ष के थे तथा संथाली बोल रहे थे. घटना स्थल से एक मोबाईल के साथ साथ दो सिम मिले. जिसमें एयरटेल और यूनिनॉर कंपनी के सिम लगे हुए थे.
एडीजे के न्यायालय में जीआर 700/12 सेशन संख्या 139/12 के अंतर्गत मामला चल रहा था. जिसमें शनिवार को मांझी मरांडी को न्यायालय ने दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए पांच हजार रुपये जा जुर्माना लगाया है. जुर्माना की राशि जमा नही करने पर दो माह का अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इधर बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता निरंजन मिश्रा थे जबकि सरकारी पक्ष की ओर से लोक अभियोजक शिवेंद्र कुमार सिंह ने पैरवी की.
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