दुमका : प्रसिद्ध बासुकी नाथ धाम में मर्याद के बाद निकली बाबा की विदाई यात्रा
झारखण्ड के दुमका स्थित प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम में जहाँ शिवरात्री में धूम धाम से शिव बारात निकाली ही गई. वहीं परम्परा के अनुसार दुसरे दिन बाबा का मर्याद रखकर बाबा भोलेनाथ को हाथी में सवार कर बड़ी धूम के साथ विदाई भी दी गई. इस कार्यक्रम में पूरे बाबा नगरी के लोग शामिल होकर उत्सव का माहौल बना दिया. पूरा बासुकीनाथधाम में होली जैसा माहौल हो गया है. विदाई के वक्त रंग अबीर लेकर भक्त झूम उठे. वही इस इस उत्सव में एकता, भाईचारा और आपसी सौहार्द का माहौल भी देखने को मिला. बनारस के शहनाईवादक काज़िम द्वारा सुरीली वादन कर बाबा को विदाई दी. वहीं इस मीठी वादन की प्रस्तुति से घंटों लोग मंत्रमुग्ध रहें.
बता दें कि झारखण्ड की देवनागरी देवनगरी बासुकीनाथ धाम में महादेव की शादी के बाद दुसरे दिन बड़ी धूम धाम से विदाई दी गई. पूरा देवनगरी में उत्सव का माहौल हो गया. क्या बच्चे और क्या बूढ़े. यहाँ तक इस विदाई में महिलायें भी शामिल होकर भाव विहल हो उठी. विदाई के वक्त एक दूसरे को रंग अबीर लगाकर कृपा की पात्र बनी. दरअसल, बासुकीनाथ धाम में परम्परा के अनुसार शिवरात्री में शिव पार्वती की शादी के बाद दूसरे दिन मर्याद रखा जाता है. जहाँ बाबा को शाम में विदाई दी जाती है.
वहीं इस शिवरात्री में यहाँ आपसी सौहार्द देखने को मिलता है. जहाँ धर्म-समुदाय आड़े नहीं आती. बस हर कोई सच्चे मन से बाबा की सेवा करने में जुटा रहता है. शिवरात्री में बासुकीनाथ में बाबा की शादी को खुशनुमा और संगीत से सजाने के लिए दो दिनों के लिए बनारस से शहनाईवादक मो काजिम को आमंत्रित किया जाता है. मुस्लिम समुदाय होने के बाद भी यह शहनाईवादक पिछले 32 वर्षो से प्रत्येक वर्ष बासुकीनाथ धाम पहुँच कर बाबा की सेवा करते हैं और अपनी शहनाई की सुरीली आवाज से बाबा की शादी से लेकर विदाई तक का जादू बिखरते है. जिसे सुनने के लिए लोग घंटो बैठ मन्त्रमुग्ध हो जाते है. इस सम्बन्ध में काज़िम का मानना है कि लोगों में आस्था और विश्वास बड़ी चीज है. बस लोगो में प्रेम और श्रद्धा होनी चाहिये. काजिम को इस बात से दुःख भी है कि यहाँ तो मौलवी और पंडित धर्म बनाकर लोगों को बाँट दिया है.
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