सीवान : जायदाद के लोभ ने दो भाइयों को बनाया अंधा, संपत्ति हड़पने खातिर विधवा मां-बहन और भांजी को पीट-पीटकर घर से निकाला

सीवान || कहते हैं कि ज़मीन-जायदाद और धन का लोभ इंसान को अंधा कर देता है और इसके चक्कर में जो पड़ जाता है, उसके लिए खून के रिश्ते तक कोई मायने नहीं रखते. इस बात की बानगी महादेवा थाना क्षेत्र स्थित हकाम गांव में देखने को मिल रही है, जहां अपने पिता और खानदान की संपत्ति को हड़पने के चक्कर में दो लोभी भाई इस कदर अंधे हो चुके हैं कि उन्होंने न सिर्फ अपनी विधवा बहन और भांजी को मारपीट कर घर से निकाल दिया बल्कि उन्हें इस कुकृत्य से रोकने आई उनकी सगी मां, जो स्वयं विधवा और वृद्धा है, उसको भी मारपीट कर घर से बेघर कर डाला है. धन और संपत्ति के लोभी इन दो भाइयों द्वारा विधवा मां, बहन और भांजी को घर से खदेड़ देने के बाद जहां तीनों महिलाएं न्याय की आस में थाना से लेकर अधिकारियों और बाबुओं के कार्यालयों के चक्कर लगा रहीं हैं. वहीं तीनों पहनने और ओढ़ने के वस्त्रों के अलावें दैनिक जीवन के लिए जरूरी एक-एक समानों के लिए दूसरे के सामने हाथ फैलाने को मजबूर हो गईं हैं.

इस संबंध में पीड़िता और 68 वर्षीय विधवा महिला कुंती देवी बताती हैं कि उनका पैतृक घर महादेवा थाना क्षेत्र के हकाम गांव में है. उनके पति स्व प्रोफेसर चक्रपाणि दत्त द्विवेदी जयप्रकाश विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के हेड रह चुके हैं. उनकी बेटी वंदना द्विवेदी की शादी सीवान जिले के हीं भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के कौड़ियां गांव निवासी कन्हैया द्विवेदी से हुई थी, जो बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल पटना में कार्यरत थे. सन 2000 में कन्हैया द्विवेदी की बीमारी से मृत्यु हो गई, जिसके बाद चक्रपाणि दत्त द्विवेदी ने अपनी विधवा बेटी वंदना और दो माह की नातिन प्रज्ञा कुमारी को अपने घर बुला लिया और दोनों के पालन-पोषण की जिम्मेवारी लेने की बात कही. तब से विधवा बेटी और नातिन दोनों उन्हीं के घर पर रहने लगी. वहीं उनके तीन बेटो विश्वकसेन दत्त द्विवेदी उर्फ आनंद, परमेश्वर दत्त द्विवेदी उर्फ आलोक एवं आशुतोष द्विवेदी भी उनके साथ रहते थे. लेकिन, बड़े बेटे विश्वकसेन और मंझले बेटे परमेश्वर दत्त अपने विवाह के बाद घर हीं में अलग रहने लगे और दोनों का खाना भी अलग अलग बनता था, जबकि छोटा बेटा आशुतोष मां-बाप, विधवा बहन और भांजी के साथ रहता था.
पिता की मृत्यु के बाद जायदाद के लोभी बने दोनों बेटे
पिछले वर्ष जनवरी माह चक्रपाणि दत्त द्विवेदी की बीमारी से मृत्यु हो गई. पिता की मृत्यु के बाद बड़े दोनों बेटों ने संपत्ति के लोभ में आकर अपनी पत्नियों के साथ मिलकर विधवा बहन वंदना और भांजी प्रज्ञा के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और मां कुंती विरोध करती तो उनके साथ भी गाली गलौज और मारपीट करना शुरू कर दिया. इसी बीच प्रज्ञा एक निजी विद्यालय में शिक्षिका के रूप में कार्य करने लगी. भांजी प्रज्ञा को नौकरी करता देख दोनों मामा और मामियों को वे और उसकी विधवा मां और ज्यादा खलने लगी. पिछले वर्ष 22 सितंबर को दोनों मामाओं और उनकी पत्नियों ने अपने एक ड्राइवर और उसके कुछ अज्ञात सहयोगियों के साथ मिलकर वंदना और प्रज्ञा की जमकर पिटाई कर उन्हें बुरी तरह से घायल कर दिया. जब दोनों को बचने कुंती देवी गई तो हमलावर दोनों बेटो-बहुओं ने अपने आदमियों के साथ मिलकर उनके साथ भी मारपीट की और उन्हें भी जख्मी कर डाला. जिसके बाद कुंती देवी ने महादेवा थाने में जाकर उसकी प्राथमिकी दर्ज कराई. लेकिन, प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने कोई भी कार्रवाई नहीं की, जिससे दोनों हमलावर और लालची भाइयों का मनोबल और बढ़ गया.
रसूख के बल पर दोनों भाईयों ने पुलिस को अपने पक्ष में किया
पीड़िता कुंती देवी बताती हैं कि बड़ा बेटा विश्वकसेन दत्त द्विवेदी सरकारी स्कूल में शिक्षक है जबकि मंझला बेटा परमेश्वर दत्त द्विवेदी उर्फ आलोक सीवान सिविल कोर्ट में वकील है, जिस कारण दोनों रुपए और अपनी पहुंच व रसूख के बल पर पुलिस को अपने पक्ष में कर लिए हैं. एक माह बाद 12 अक्टूबर 2024 सभी हमलावरों ने फिर से मां-बेटी वंदना और प्रज्ञा को लाठी, डंडे और लोहे की सरिया से पीट-पीट कर जान लेने की कोशिश की और जब कुंती देवी उन्हें बचाने पहुंची तो उनकी भी जमकर पिटाई की और तीनों को अधमरे हालत में घर से बाहर निकाल घर का दरवाजा बंद कर दिया. साथ हीं यह धमकी भी दी कि दुबारा घर में घुसने की कोशिश की तो इज्जत और आबरू बर्बाद कर देंगे और जान भी ले लेंगे. घटना की प्राथमिकी शिक्षिका प्रज्ञा कुमारी ने महादेवा ओपी थाने में दर्ज कराई, लेकिन प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस फिर से मौन हो गई और आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है. नतीजतन, दोनो हमलावर भाइयों का मनोबल बढ़ते जा रहा है और उन्होंने घर से निकाले तीनों महिलाओं के वस्त्र, ओढ़ना-बिछावन और बर्तन-चूल्हे से लेकर सभी जरूरत के सामानों को अपने कब्जे में कर लिया है. कुंती देवी बताती हैं कि घटना के एक दिन पहले हीं वे बैंक अपने पेंशन और जमा राशि से एक बड़ी रकम निकाल कर घर लाई थी, जिसे भी उनके दोनों बेटों और बहुओं ने हड़प लिया है और देने से इनकार कर रहे हैं.
दोनों भाईयों ने निजी सामानों पर भी जमाया कब्जा
वही भांजी प्रज्ञा कुमारी बताती है कि उसके दिवंगत नाना, विधवा मां द्वारा और उसने स्वयं की कमाई से अपनी शादी के लिए कुछ आभूषण खरीदे थे, कुछ कीमती वस्त्र खरीदे थे और कुछ नकद रुपए जमा किए थे, जो उसी घर में उनके संदूक और अलमीरा में रखे हुए हैं, जिन्हें देने से उसके मामा और मामी इंकार कर रहे हैं. वह शिक्षिका की अपनी प्राइवेट जॉब से जैसे तैसे किराए के मकान में अपनी विधवा मां और नानी के साथ रह कर गुजारा कर रही है. प्रज्ञा बताती है कि उसने पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारियों से भी मिलकर न्याय और मदद की गुहार लगाई है, लेकिन कहीं से कोई मदद या कार्रवाई नहीं हुई है. वह और उसकी मां भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं. अगर, मामा-मामियों ने उसके कपड़े-आभूषण और जमा धन राशि नहीं लौटाए तो उसकी शादी भी नहीं हो पाएगी.
बहरहाल, एक तरह राज्य सरकार जहां महिलाओं को आरक्षण देकर उनके लिए नाना प्रकार के हितकारी योजनाओं को चलाने के दावे करती है, वहीं सीवान में एक नहीं दो-दो कंस मामाओं ने राज्य सरकार के सभी दावों और योजनाओं को झुठला दिया है. अब, देखने वाली बात होगी कि इस खबर के बाद जिला प्रशासन और पुलिस की तंद्रा भंग होती है या नहीं. (ब्यूरो रिपोर्ट).