सावन में देवघर बन जाता है सिसवन का मेंहदार, बैद्यनाथ धाम की तरह हीं महेन्द्रनाथ धाम में जुटती है श्रद्धालुओं की भीड़
अभिषेक श्रीवास्तव
सीवान से भगवान भोलेनाथ का आदिकाल से रिश्ता रहा है. जिले में देवाधिदेव भगवान महादेव के कई ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर हैं. इन्हीं में से एक है सिसवन प्रखंड के मेंहदार में स्थित बाबा महेंद्र नाथ धाम जो कि सावन के मौके पर लोगों की आस्था का केंद्र बन जाता है. देवघर के बाबा बैजनाथ की भांति सावन के पावन महीने में यहाँ पर भी दूर दराज से लोग भगवान शंकर का जलाभिषेक करने आते हैं. खासकर सोमवार को जलाभिषेक के लिए यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ जाती है.
सिसवन प्रखंड के मेंहदार स्थित बाबा महेंद्र नाथ धाम शिव भक्तों की आस्था का प्रमुख और विख्यात केंद्र है. करीब 2000 वर्ष पुराने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि प्राचीन काल में यह नेपाल देश के अंतर्गत आता था. एक बार कुष्ठ रोग से पीड़ित नेपाल के राजा महेंद्र नाथ यहां आखेट करने आये थे. जहां उन्हें शौच लग गयी. शौच के बाद राजा ने गड्ढे के पानी से हाथ साफ किया तो उनका कुष्ठ रोग दूर हो गया. जिसके बाद उन्होंने जंगल की कटाई कराने और वहां तालाब बनाने का आदेश दिया. तालब की खुदाई के दौरान वहां एक शिव लिंग दबा हुआ दिखाई दिया. जिसे बाहर निकाल कर वहां राजा ने मंदिर का निर्माण कराया और तब से यह महेंद्र नाथ धाम लोगों की आस्था का केंद्र बन गया.
ऐसी मान्यता है कि महेंद्र नाथ धाम पर आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना कर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. वही वहां स्थित करीब 52 बीघा में फैले कमलदाह सरोवर में स्नान करने से लोगों के असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं. मंदिर के पुजारियों की माने तो इस जगह पर भगवान शिव की विशेष कृपा है और सावन के महीने में यहां पूजा करने का खास महत्व होता है. खासकर सावन के सोमवार को यहां जलाभिषेक करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
अपने कष्टों को दूर करने और मन्नते पूरी करने के लिए यहां घंटा बांधने की भी परंपरा है. जो काफी वर्षों से चली आ रही है. वहीं लोग भी मंदिर से जुड़ी मान्यता में आस्था और विश्वास रखते हैं. लोग श्रद्धा के साथ यहां आकर जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं. हर साल सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए मंदिरों के दरवाजे पर घंटा बांधते हैं. अपने कष्ट और रोगों को दूर करने के लिए मंदिर के आगे स्थित विशाल कमलदास सरोवर में स्नान भी करते हैं. शिव भक्तों और श्रद्धालुओं की माने तो यहां सच्चे मन से पूजा करने पर शिव सबकी मुरादें पूरी करते हैं.
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