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दुसरे दिन भी नहीं हो सकी पचरुखी चीनी मिल के जमीन की मापी, लोगों ने फिर प्रशासन को रोका, मिल पुलिस छावनी में तब्दील

कन्हैया प्रसाद

सीवान के पचरुखी प्रखंड स्थित नीलाम हो चुके पचरुखी चीनी मिल के जमीन की दुसरे दिन भी मापी का काम नही हो सका और मापी कराने आये प्रशासन को वापस बैरंग लौटना पड़ा. गुरूवार को एकबार फिर से मापी कराने मिल पर पहुंचे प्रशासन को लोगों ने घेर लिया और किसी भी सूरत में मिल के जमीन की मापी नहीं होने देने की बात कही. लोगों ने कहा कि हमलोग जान दे देंगे पर यहां के जमीन पर किसी भू माफिया को आने नहीं देंगे.

बता दें कि पचरुखी चीनी मिल की जमीन को डीआरटी कोर्ट के आदेश के आलोक में पचरुखी सीओ गिन्नीलाल प्रसाद द्वारा मापी कराया जा रहा है. ताकि बिल्डरों को जमीन मिल सके. वहीं स्थानीय लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. लोगों के विरोध को देखते हुए पचरुखी चीनी मिल परिसर में पुलिस बल तैनात किया गया है. पूरा मिल परिसर पुलिस छावनी की तरह दिख रहा है. हालांकि तत्काल मापी के कार्य को रोक दिया गया है.

मापी के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले याचिकर्ता उमेश कुमार का कहना है कि मिल की जमीन की नीलामी पूर्णतः गलत है. उक्त भूमि का भू-अर्जन बिहार सरकार द्वारा सार्वजनिक हित में वर्ष 1950 ईo में किया गया. चीनी मिल को उक्त जमीन किसानों ने इस शर्त के साथ दिया था कि सरकार जब चाहे कम्पनी को समाहर्ता द्वारा निर्धारित मुवावजे का भुगतान कर जमीन वापस ले सकती है. यदि कम्पनी को भूमि की आवश्यकता नहीं होगी तो कम्पनी मुआवजे में दी गई राशि को वापस लेकर उक्त जमीन मूल भू-धारियों को सौंप देगी. इस प्रकार उक्त भूमि पर कंपनी का अधिकार केवल चीनी मिल चलाने तक ही सिमित था. मिल बंद होने की स्थिति में उक्त जमीन या तो सरकार के कब्जे में चली जानी थी अथवा मूल भू धारियों को लौटा दी जानी थी. वहीं पचरुखी सीओ गिन्नी लाल प्रसाद ने बताया कि मापी डीआरटी कोर्ट व वरियअधिकारियों के आदेश पर कराया जा रहा है.

गौरतलब है कि बुधवार के दिन भी पचरुखी सीओ और डीसीएलआर ने चीनी मिल के जमीं की मापी करने की कोशिश की थी जिसके बाद स्थानीय लोग उग्र हो गये और जमकर विरोध किया. नतीजतन, प्रशासन को बगैर मापी के ही वापस जाना पड़ा था.

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