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सीवान में “भोजपुरी साहित्य में स्त्री की भूमिका” पर परिचर्चा आयोजित

अभिषेक श्रीवास्तव

सीवान में रविवार को भोजपुरी की ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिका आखर द्वारा भोजपुरी की प्रमुख महिला साहित्यकार कुमारी शैलजा श्रीवास्तव की स्मृति में नगर परिषद सभागार में “भोजपुरी साहित्य में स्त्री की भूमिका” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता मूर्धन्य महिला साहित्यकार प्रोफेसर नीलम श्रीवास्तव ने की.

परिचर्चा को संबोधित करते हुए भोजपुरी के युवा विचारक व उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी संजय कुमार सिंह ने कहा कि भोजपुरी सिर्फ भाषा नहीं बल्कि संगीत में तराशी और डुबोई गई संजीवनी है. भोजपुरी साहित्य की जड़े वैदिक काल तक जाती है. सामवेद के मंत्रों का उच्चारण परंपरागत रूप से जिस लय व धुन पर किया जाता है वह हमारी भोजपुरी के सोहर का धुन है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी साहित्य को समृद्ध करने में स्त्री की भूमिका वहां से शुरू होती जब स्त्रियों ने संतान की उत्पत्ति होने पर सोहर व खेलवना गाया था. वहीं परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रोफेसर पी राज सिंह ने कहा कि शैलजा जी रचनाओं में प्रकृति के सौन्दर्य के साथ-साथ विरह में डूबी हुई नायिका और अभाव में चांद को छूनेवाली जिजीविषा का शानदार चित्रण है. जबकि काव्ययत्री जयश्री ने कहा कि शैलजा ने भोजपुरी साहित्य को गढने के साथ-साथ रंगमंच का भी भरपूर उपयोग भोजपुरी के हीत में किया है.

परिचर्चा को डॉक्टर यतींद्रनाथ सिंह, सर्वेश तिवारी श्रीमूख, राजू उपाध्याय, आर आर सुशील, योगेन्द्र सिंह अकहरा, राजेश रंजन रणधीर, अशोक प्रियम्बद व आनन्द किशोर मिश्र आदि ने भी संबोधित किया. वहीं विषय प्रवेश सतीश कुमार दूबे ने किया. स्वागत भाषण व ऑनलाइन भोजपुरी अभियान “आखर” का परिचय व अतिथियों का स्वागत भास्कर रंजन ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर अमित कुमार मोनू ने किया जबकि संचालन आर जे राणा ने किया. इस मौके पर नीलेश कुमार वर्मा, नवीन सिंह परमार, विकास कुमार, मनोरंजन सिंह व राजेश पाण्डेय समेत दर्जनो की संख्या में भोजपुरी भाषी युवा व नगर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहें.

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