महाभारत काल के गुरु द्रोण की कर्मस्थली रहा सीवान का दोन गाँव गुमनामी के अंधेरे में डूबने के कगार पर
निलेश कुमार श्रीवास्तव
सीवान जिले के दरौली प्रखंड स्थित सरयू नदी के तट पर बसा दोन गाँव अपने अंदर कई ऐतिहासिक और पौराणिक गाथाओं को समेटे हुए है. भारत के इतिहास में इस गाँव का अभूतपूर्व योगदान रहा है. महाभारत काल के कौरव और पांडूओ को शिक्षा देने वाले गुरु द्रोणाचार्य यही रहते थे. लेकिन आज केंद्र और राज्य सरकार की बेख्याली और उदासीनता के कारण दोन गाँव गुमनामी के अँधेरे में डूबता जा रहा है.
सरयू नदी के तट से छः-सात किलोमीटर उत्तर दिशा में बसा दोन गांव कालान्तर में कभी महाभारत (कुरुक्षेत्र) की लड़ाई के रण नीतिकार गुरु द्रोण ( आचार्य द्रोणाचार्य) के कर्मस्थली होने के नाते महाभारत के महारथियों का अड्डा हुआ करता होगा. मान्यता है कि यहाँ गुरु द्रोण की कुटिया थी. जहां आचार्य द्रोणाचर्या तपस्या किया करते थे. आज भी टीलानुमा जगह इस बात की गवाह है. नदी कभी इस टीला के क़रीब से बहा करती थी. ऐसा कहा जाता है कि गुरु द्रोण से आशीर्वाद लेने माहभारत के सारे महारथी अर्जुन, भीम आदि आया करते थे. यहां से तीन किलोमीटर दूर कुकुरभोक्का गांव है. जिसके बारे में यह प्रसिद्ध है कि यही वह जगह है जहां एकलब्य ने कुत्ते के मुख को तीर से बेध दिया था.
कुकुरभोक्का गांव दरौली प्रखंड में आता है. विकास से काफी दूर इस गांव में महादलित परिवार के लोग ही हैं. जो आपने को एकलब्य से सम्बद्ध मानते है. आज भी इस गांव में एक टीलानुमा जगह है. उस टीला पर एक बिशाल पेड़ है. जहाँ लोगो की मान्यता है कि इसी जगह एकलव्य धनुर्य विद्या की साधना किया करते थे. यहाँ प्रयास किया जाय तो भविष्य में यह स्थान पर्यटक का केंद्र हो सकता है.
यहां के बुजुर्ग बताते है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती भी यहा आई थी. तब उन्होंने यहां एकलव्य की मूर्ति स्थापित करने की बात कह कर गयी थी. लेकिन, आज भी यह गांव उपेक्षा का शिकार है. दोन में पुरातत्व विभाग द्वारा पूर्व में खुदाई भी हुई थी. जिसमे आचार्य द्रोणाचार्य से जुडी कई महत्वपूर्ण सामग्री भी प्राप्त हुयी थी. यहाँ के लोगो के सहयोग से गुरु द्रोण की मंदिर भी इसी टीला पर स्थापित किया गया है. खुदाई से प्राप्त सामग्री को मंदिर में रखा गया है. पुरातत्व विभाग द्वारा इस पर ध्यान दिया जाय तो भविष्य में यह न सिर्फ स्थान पर्यटक का केंद्र हो सकता है बल्कि इसके गर्भ में छुपी और भी जानकारियां प्राप्त हो सकती है.
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